English Skills: पटना के बी.एन. कॉलेज में शनिवार (6 दिसंबर 2025) को आयोजित “कैंपस टू करियर: द पावर ऑफ कम्युनिकेटिव इंग्लिश स्किल्स” सेमिनार में बदलते रोजगार बाजार और युवाओं की भाषा-कौशल तैयारियों को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित प्रख्यात लेखक और संचार विशेषज्ञ डॉ. बीरबल झा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी समय में इंग्लिश केवल एक विदेशी भाषा नहीं, बल्कि रोजगार, पेशेवर विकास और संवाद की अनिवार्य जरूरत बन चुकी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. डी. एन. सिन्हा ने की।
English Skills: जीवन-कौशल की तरह अपनानी होगी अंग्रेजी
छात्रों से खचाखच भरे सभागार को संबोधित करते हुए डॉ. झा ने कहा, “घर की भाषा अपनापन देती है, समाज की भाषा जुड़ाव बनाती है, और इंग्लिश आपके पेशेवर विकास और रोजगार के लिए ज़रूरी है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि रोजगार की दुनिया में अवसरों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन इन अवसरों तक पहुंचने में सबसे बड़ा अंतर अक्सर भाषा-कौशल ही पैदा करता है। उन्होंने कहा, “आज अंग्रेज़ी को एक विषय की तरह नहीं, बल्कि जीवन-कौशल की तरह अपनाना होगा।”
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डॉ. झा ने छात्रों से कहा कि उन्हें “रोज़गार के लिए इंग्लिश, पहचान के लिए भारतीय संस्कृति और उत्तम आचरण के लिए सामाजिक नैतिकता”—इन तीन स्तरों पर एक संतुलित व्यक्तित्व विकसित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कई युवा अपनी योग्यता के बावजूद केवल इस वजह से पीछे रह जाते हैं कि वे इंटरव्यू, समूह चर्चा या पेशेवर संवाद में आत्मविश्वास से खुद को व्यक्त नहीं कर पाते।
English Skills: एम्प्लॉयबिलिटी स्किल्स के पहलुओं को भी बताया
सत्र के दौरान उन्होंने एम्प्लॉयबिलिटी स्किल्स के कई पहलुओं को सरल उदाहरणों के साथ समझाया। इसमें इंटरव्यू स्किल्स, कॉर्पोरेट ईमेल एटीकेट, डिजिटल कम्युनिकेशन, वैश्विक नेटवर्किंग, उच्च शिक्षा के लिए अकादमिक लेखन और नेतृत्व भूमिकाओं के लिए पब्लिक स्पीकिंग शामिल थे। उन्होंने कहा कि आज कंपनियां केवल डिग्री नहीं देखतीं, बल्कि यह भी देखती हैं कि उम्मीदवार खुद को कितनी स्पष्टता और पेशेवर तरीके से प्रस्तुत कर सकता है।
English Skills: भर्तीकर्ताओं द्वारा अपेक्षित क्षमताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने पाँच मुख्य कौशल बताए—
(1) सुस्पष्ट बोलना
(2) सक्रिय श्रवण
(3) उपयुक्त शब्दावली
(4) रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन
(5) प्रोफेशनल राइटिंग
उन्होंने कहा, “सुनना ही संचार का आधा हिस्सा है। कई उम्मीदवार बोल तो लेते हैं, लेकिन सामने वाले की बात को ठीक से समझ नहीं पाते, और यह बड़ी समस्या बन जाती है।” उन्होंने यह भी कहा कि ईमेल, रिपोर्ट और निर्देशों को समझ पाना आज हर कार्यस्थल की बुनियादी जरूरत है, और अंग्रेज़ी इसका सबसे बड़ा माध्यम है।
बिहार की प्रतिभा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “बिहार मेधावी दिमाग़ देता है, लेकिन कई छात्रों को मानक कम्युनिकेटिव इंग्लिश का पर्याप्त एक्सपोज़र नहीं मिल पाता। अगर इस एक कमी को पूरा कर लिया जाए, तो बिहार के युवाओं की रोजगार क्षमता कहीं अधिक बढ़ सकती है।”
डॉ. झा ने बताया कि शैक्षणिक योग्यताएं केवल पात्रता प्रदान करती हैं, लेकिन वास्तविक चयन English Skills संचार कौशल पर निर्भर करता है। इसी संदर्भ में उन्होंने छात्रों को अपना ‘3As फ़ॉर्मूला’—Assertive, Articulate और Appropriate—समझाया। उन्होंने बताया कि पेशेवर दुनिया में आत्मविश्वासी होना, अपनी बात स्पष्टता से रखना और परिस्थिति के अनुसार उपयुक्त भाषा का चयन करना—ये तीनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने सेल्फ-इंट्रोडक्शन, समूह चर्चा और इंटरव्यू प्रस्तुति पर व्यावहारिक सुझाव दिए और बताया कि छोटे-छोटे बदलाव भी उम्मीदवार के चयन की संभावनाएँ बढ़ा देते हैं।
भारत में अंग्रेज़ी की जरूरत को लेकर कार्यक्रम में चर्चा का व्यापक संदर्भ भी सामने आया। वक्ताओं ने कहा कि बहुभाषी देश होने के कारण अंग्रेज़ी भारत में एक साझा संवाद भाषा की भूमिका निभा रही है। आईटी, बैंकिंग, कॉर्पोरेट, हेल्थकेयर, मीडिया, पर्यटन और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में इंटरव्यू, रिपोर्ट, प्रेज़ेंटेशन और ईमेल अधिकतर अंग्रेज़ी में होते हैं, जिससे इस भाषा का महत्व और बढ़ गया है। उच्च शिक्षा, ऑनलाइन कोर्स, रिसर्च और डिजिटल सेवाओं का बड़ा हिस्सा भी अंग्रेज़ी में होने से छात्रों के लिए इसके ज्ञान का दायरा और व्यापक हो जाता है।
सेमिनार के समापन पर हुए प्रश्नोत्तर सत्र में छात्रों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई और अपने करियर व भाषा-कौशल को लेकर कई सवाल पूछे। कार्यक्रम में डॉ. रामहित चौपाल, डॉ. अनंत कुमार और पीएचडी स्कॉलर नितिश गुप्ता भी मौजूद रहे।
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