इंसान इस हद तक क्रूर, बर्बर हो सकता है, यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी। (Photo Source: Indian Express)
केरल में क्रूरता और बर्बरता की हद को पार करते हुए एक युवक ने अपनी पत्नी को मार डालने के लिए घर में कोबरा नाग ले आया और उससे उसे कटवा दिया। इससे उसकी पत्नी की मौत हो गई। घटना राज्य के कोल्लम जिले की है। वहां सत्र अदालत ने कोबरा/नाग से डंसवा कर पत्नी की हत्या करने के इस चर्चित हत्याकांड के दोषी को बुधवार को दोहरे उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि यह अपराध “पैशाचिक, क्रूर, बर्बर और कायराना है” और यह “अनूठी दुष्टता” के साथ किया गया है।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि 27 वर्षीय सूरज ने पिछले साल सोने के आभूषण हथियाने और दूसरी महिला से शादी करने के इरादे से 25 वर्षीय पत्नी उथरा को मार डाला। अदालत ने सूरज को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 328 (जहर से चोट पहुंचाना) और 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना) के तहत दोषी पाया है।
अदालत ने पत्नी उथरा की कोबरा से डंसवा कर हत्या करने के दोषी सूरज एस. कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने दोषी को दूसरी उम्रकैद की सजा इसी तरीके से पहले भी उथरा की हत्या करने के प्रयासों के जुर्म में सुनाई। अदालत ने फैसले में स्पष्ट किया कि उम्रकैद की सजा सूरज को अन्य अपराधों के लिए सुनाई गई 17 साल की कैद की अवधि पूरी होने के बाद शुरू होगी।
सजा सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-षष्ठम मनोज एम. ने दोषी सूरज को अपनी पत्नी को जहर देने के जुर्म में 10 साल और साक्ष्य मिटाने के जुर्म में सात साल की सजा दी है। ऐसे में दोषी अपने जीवनकाल का ज्यादातर समय जेल में ही रहेगा। अदालत ने कहा, “आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत अपराध के मामले में उम्रकैद और 5,00,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी जाती है।
आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत उम्रकैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जाती है। आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 328 (जहर देना) के तहत अपने अपराध के लिए 10 साल सश्रम कारावास की सजा भुगतेगा और उसपर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।”
अदालत ने कहा, “आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत अपराध के लिए सात साल सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी और 10,000 रुपये जुर्माना भरना होगा।” इसके साथ ही अदालत ने दोषी को तिरुवनंमपुरम स्थित केन्द्रीय कारागार भेजने का वारंट जारी किया जहां वह अपनी सजा काटेगा।
अदालत ने कहा कि दोषी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 328 और 201 के तहत सुनाई गयी 10 और सात साल की सजा एक के बाद एक चलेंगी। यह 17 साल की सजा समाप्त होने के बाद दोषी को सुनाई गयी दोहरे उम्रकैद की सजा साथ-साथ चलेंगी। अदालत ने कहा कि अगर दोषी से जुर्माने की राशि वसूल ली जाती है तो उसे पीड़ित के माता-पिता को मुआवजे के रूप में दे दिया जाए।
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अदालत ने कहा, “इस मामले में उथरा के दो साल के नाबालिग बेटे ने अपनी मां खो दी और अब वह अपने नाना-नानी के पास रह रहा है, जो अपराध हुआ है उसके बदले में उसे पुनर्वास की जरूरत है। इसलिए यह मामला ऐसा है जिसमें कोल्लम के जिला विधि सेवा प्राधिकरण से उथरा के बेटे को मुआवजे की राशि देने की सिफारिश की जा सकती है।”
अपने 450 पन्नों से भी लंबे फैसले में अदालत ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को नोट किया है कि आरोपी ने सांप से डंसवा कर हत्या करने के प्रयास के दोनों अवसरों पर उथरा को शराब में नशे की दवा मिलाकर दी जिसे उसने (उथरा) “प्यार समझ कर बिना किसी संदेह के पी लिया” जबकि सच यह है आरोपी ने उसे “जहर का प्याला” दिया था।
अदालत ने कहा, “उक्त परिस्थितियों में हत्या का तरीका वास्तव में पैशाचिक, क्रूर, बर्बर और कायराना था…” उसने कहा, इस मामले में हत्या जीवित प्राणी द्वारा जहर देकर (नाग से डंसवा कर) उस वक्त की गई जब पीड़िता को इसकी कोई आशंका नहीं थी और वह नशे में थी। उसने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि हत्या पैशाचिक, खौफनाक, क्रूर और बर्बर है।”
अदालत ने आगे कहा कि हालांकि आरोपी द्वारा अपराध “धृष्टता भरी दुष्टता” के साथ किया गया है, जिसने बार-बार अपनी पत्नी की हत्या करने का प्रयास किया और अतीत में ऐसे अपराध का कोई उदाहरण भी मौजूद नहीं है, लेकिन कुमार (आरोपी) की युवावस्था नरमी बरतने की परिस्थिति बन सकता है।
अदालत ने कहा कि “ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि उसके सुधरने के अवसर पहले ही समाप्त हो चुके हैं और यह मामला दुलर्भतम से दुर्भल की श्रेणी में नहीं आता है जिसके लिए उसे मौत की सजा सुनायी जाए। उक्त परिस्थितियों में, मौत की सजा सुनाने की जरूरत नहीं है और उम्रकैद की सजा न्यायसंगत है।”
सजा सुनाए जाने के बाद विशेष लोक अभियोजक जी. मोहनराज ने पत्रकारों से कहा था कि अदालत ने अपराध को दुलर्भतम से दुर्लभ की श्रेणी में रखा है लेकिन दोषी की कम उम्र (वर्तमान में 28 साल) और उसका पिछला कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उसे मौत की सजा नहीं सुनायी है। उन्होंने कहा कि राज्य बाद में तय करेगा कि इस मामले में आगे अपील करनी है या नहीं।
अतिरिक्त लोक अभियोजक ए. के. मनोज ने पीटीआई/भाषा को बताया कि जब सजा सुनायी गई तो दोषी कुमार बेफिक्र था। वहीं इस मामले की जांच का नेतृत्व करने वाले पुलिस अधीक्षक हरिशंकर ने पत्रकारों से कहा कि पुलिस और अभियोजन दोनों फैसले और सजा से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि सजा कितनी होनी चाहिए यह तय करने का अधिकार अदालत को है, इसलिए उसपर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है।
हालांकि, दोषी को सुनाई गयी सजा उथरा के माता-पिता और वरिष्ठ नेताओं सहित विभिन्न लोगों को कम लग रही है। उथरा की मां ने कहा कि वह सजा से संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि वह चाहती थीं कि दोषी को फांसी की सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि परिवार आगे अपील के लिए कहेगा। अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह भारतीय दंड प्रणाली की खामी है जिसने कुमार जैसे अपराधी को बढ़ने दिया है।
सजा सुनाए जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कुमार (दोषी) के वकील ने कहा कि फैसला “अपरिपक्व” और “अनुचित” है क्योंकि अदालत के पास आरोपी को दोषी करार देने के लिए कोई साक्ष्य नहीं था। वकील ने कहा कि उनके अनुसार, यह “नैतिक दोषसिद्धि” है और उनके मुवक्किल फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
अदालत ने 11 अक्टूबर को कुमार को हत्या, जहर देने, साक्ष्य नष्ट करने और सांप से डंसवा कर पत्नी की हत्या की पहली कोशिश के संबंध में हत्या के प्रयास का दोषी करार दिया था। सूरज कुमार ने मई, 2020 में गहरी नींद में सो रही अपनी पत्नी उथरा को सांप से डंसवा कर उसकी हत्या कर दी थी। उथरा के परिवार ने तीन महीने के भीतर उसे दो बार सांप काटने को लेकर संदह जताया था, जिसके आधार पर पुलिस ने जांच की और इस मामले को सुलझाया।
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