अमीर इमारतों के सामने गरीब बस्ती। (Photo Source: foreignpolicy.com/NOEL CELIS/AFP/GETTY IMAGES)
अमीरी और गरीबी को लेकर अक्सर असमानता की बातें कही जाती रही हैं। दोनों के बीच यह खाई देश की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। बावजूद इसके यह असमानता दिनोंदिन लगातार और चौड़ी होती जा रही है। भारत में यह असमानता (Economic Inequality) यानी अमीरों और गरीबों के बीच की खाई अब चिंताजनक तरीके से बढ़ने लगी है। एक तरफ अमीर और अमीर हो रहे हैं, दूसरी और गरीबों की गरीबी में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।
प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Centre) की एक रिपोर्ट बताती है कि पहली बार भारत में खरबपतियों की संख्या एक हजार के पार हो गई है, तो दूसरी रिपोर्ट के अनुसार इसी अवधि में देश में करीब छह करोड़ लोग गरीब हो गए हैं। इस तरह भारत फिर से व्यापक गरीबी वाला देश बन गया है।
प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Centre) ने विश्वबैंक के डेटा का अध्ययन कर कुछ चौंकाने वाले निष्कर्ष दिए हैं। इसके अनुसार, भारत में एक दिन में 150 रुपये भी नहीं कमा पाने वाले (क्रय शक्ति पर आधारित आय) लोगों की संख्या में पिछले एक साल में तेजी से वृद्धि हुई है। महामारी के चलते तेज हुई आर्थिक सुस्ती के चलते ऐसे लोगों की संख्या एक साल में छह करोड़ बढ़ गई है।
इस तरह देश में कुल गरीबों की संख्या अब 13.4 करोड़ पर पहुंच गई है। इसका अर्थ यह हुआ कि भारत 45 साल बाद फिर से मास पॉवर्टी यानी व्यापक स्तर पर गरीबों वाला देश बन गया है। 1974 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश में गरीबों की संख्या बढ़ी है।
प्यू रिसर्च सेंटर के निष्कर्षों पर यकीन करें तो महामारी के बाद देश का मध्यम वर्ग सिकुड़ गया है। आम तौर पर मध्य वर्ग (Middle Class) में आबादी के कम होने का कारण लोगों का अपर क्लास यानी समृद्ध वर्ग में शामिल हो जाना रहता है। हालांकि इस मामले में स्थिति उलट है। यहां मिडल क्लास का एक तिहाई हिस्सा गरीबों की श्रेणी में पहुंच गया है। इसमें बड़ा हिस्सा शहरी आबादी का है।
ऑक्सफेम इंडिया (Oxfam India) की एक हालिया रिपोर्ट भी चिंताजनक बातें सामने लाती है। इसके अनुसार, भारत में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि महामारी के आने से आर्थिक असमानता की स्थिति उत्पन्न हुई है। यह पिछले तीन दशक से हो रहा है। पिछले तीन दशक से अमीरों का धन बढ़ता जा रहा है और गरीबों के हिस्से की संपत्ति कम होती जा रही है।
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ऑक्सफेम की इस रिपोर्ट में 2017 तक के आंकड़े लिए गए हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि देश के महज 10 प्रतिशत समृद्ध लोगों के पास 77 प्रतिशत संपत्ति है। 2017 में भारत में बढ़ी कुल संपत्ति में से 73 प्रतिशत हिस्सा महज एक प्रतिशत अमीरों के हिस्से में गया। वहीं दूसरी ओर गरीबों की संपत्ति में महज एक प्रतिशत का इजाफा हुआ। सिर्फ एक प्रतिशत अमीर आबादी की कुल संपत्ति भारत के बजट से भी ज्यादा है।
एक दिन पहले जारी आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2021 (IIFL Wealth Hurun India Rich List 2021) के अनुसार, एक दशक में देश में खरबपतियों की संख्या 10 गुना से भी अधिक हो गई है। जहां 2011 में एक हजार करोड़ रुपये की संपत्ति वाले लोगों की संख्या 100 थी, 2021 में इनकी संख्या 1007 हो गई है। इन अमीरों ने पिछले साल हर रोज 2,020 करोड़ रुपये की कमाई की है, जबकि आबादी का बड़ा हिस्सा रोज 150 रुपये कमाने में असमर्थ हो रहा है।
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