English News

  • youtube
  • facebook
  • twitter

जिद का किसान आंदोलन, हिंसक रवैया से टूट रहा लोगों का सब्र

लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के बाद बवाल। (Photo- PTI)

[ADINSETER AMP]

देश में जिस तरह किसान आंदोलन जारी है, उससे आगे की राह और कठिन होती जा रही है। आंदोलन का अंत एकतरफा नहीं होता है। उसमें दोनों पक्षों से यह उम्मीद होती है कि कुछ एक पक्ष त्याग करे तो कुछ दूसरा पक्ष, लेकिन इस आंदोलन में दोनों पक्ष अड़े हुए हैं। इससे इसके किसी समझौते तक पहुंचने की उम्मीद खत्म होती जा रही है। दोनों पक्षों के अड़े रहने से हिंसा को प्रोत्साहन ही मिल रहा है। लंबे समय से सड़क बंद करे बैठे किसानों की वजह से लोगों का सब्र भी टूट रहा है। न्यायालय ने भी इस पर सख्त चेतावनी जारी की है, लेकिन सुधार नहीं दिख रहा है।

इस बीच उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जब तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी गई है, तो किसान संगठन किसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि कानूनों की वैधता को न्यायालय में चुनौती देने के बाद ऐसे विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है।

[ADINSETER AMP]

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने रविवार की लखीमपुर खीरी घटना का जिक्र किया, जिसमें आठ लोग मारे गए थे। इस पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ऐसी कोई घटना होने पर कोई इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई मामला जब सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के समक्ष होता है, तो उसी मुद्दे को लेकर कोई भी सड़क पर नहीं उतर सकता।

Ruckus after the death of farmers in Lakhimpur Kheri
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में रविवार को मारे गए किसानों की मौत पर रोते-बिलखते परिवार के लोग। (फोटो विशाल श्रीवास्तव- इंडियन एक्सप्रेस)

शीर्ष अदालत तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यहां जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ करने की अनुमति देने का प्राधिकारियां को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। शीर्ष अदालत कृषकों के संगठन ‘किसान महापंचायत’ और उसके अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में संबंधित प्राधिकारियों को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण एवं गैर-हिंसक ‘सत्याग्रह’ के आयोजन के लिए कम से कम 200 किसानों के लिए जगह उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया था।

READ: तनातनी में किसान और सरकार, दोनों पक्ष बोले- न झुकेंगे, न हटेंगे

[ADINSETER AMP]

ALSO READ: विषाणु से किसान तक राजनीति की गुंजाइश और उम्मीद

पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की है। पीठ ने तीन कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर किसान संगठन की याचिका भी अपने यहां स्थानांतरित कर लिया।

[ADINSETER AMP]

कई किसान संगठन तीन कानूनों – किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के पारित होने का विरोध कर रहे हैं। इन कानूनों का विरोध पिछले साल नवंबर में पंजाब से शुरू हुआ था, लेकिन बाद में मुख्य रूप से दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैल गया।

CMARG (Citizen Media And Real Ground) is a research-driven media platform that focuses on real issues, timely debates, and citizen-centric narratives. Our stories come from the ground, not from the studio — that’s why we believe: “Where the Ground Speaks, Not the Studios.” We cover a wide range of topics including environment, governance, education, economy, and spirituality, always with a public-first perspective. CMARG also encourages young minds to research, write, and explore bold new ideas in journalism.

Exit mobile version