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Old vehicle ban: सड़कों से 10 वर्ष पुराने वाहन हटाना क्यों है जरूरी?

Old Vehicle Ban के तहत प्रतिबंधित पुरानी कार | फोटो: Jasper on Unsplash

Old vehicle ban: दिल्ली में पुराने वाहनों को पहली जुलाई से ईंधन नहीं देने और उन्हें जब्त करने का अभियान शुरू होते ही यह कदम विवादों में घिर गया। दिल्ली में निर्धारित आयु सीमा पूरी कर चुके करीब 62 लाख वाहन अब भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनकी धर-पकड़ के लिए पेट्रोल पंपों को माध्यम बनाया गया। मगर भारी विरोध और आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी के चलते दिल्ली सरकार को यह फैसला अस्थायी रूप से वापस लेना पड़ा। हालांकि अब Old vehicle ban नीति एक नवंबर से पूरे दिल्ली-एनसीआर में लागू की जाएगी।

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विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण के कई कारणों में वाहन भी एक हैं, लेकिन यह भी सच है कि उनमें से कई वाहन पूरी तरह चलने योग्य हैं। दलील दी गई कि यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में वाहनों को तय समय में हटाने जैसी कोई सख्त नीति नहीं है—अगर वाहन चलने के सभी मानकों पर खरे उतरते हैं, तो उन्हें सड़कों पर चलने की अनुमति दी जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में ही Old vehicle ban की यह सख्ती क्यों?

पुराने वाहनों से संबंधित कानूनी आदेश 2015 से ही अस्तित्व में हैं, परंतु तकनीकी बुनियादी ढांचे के अभाव में इनके अमल में देरी होती रही है।

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दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देश का उद्देश्य उन वाहनों को सड़कों से हटाना है जो निर्धारित आयु सीमा पूरी कर चुके हैं, जिन्हें End-of-Life Vehicles (ELVs) कहा जाता है। यह निर्देश लंबे समय से चले आ रहे अदालती आदेशों और पर्यावरणीय चिंताओं पर आधारित है। लेकिन इसे बिना समुचित तैयारी के लागू करने से अफरा-तफरी मच गई और चौतरफा विरोध हुआ।

परिणामस्वरूप, आदेश को 31 अक्तूबर तक स्थगित कर दिया गया। साथ ही, यह आशंका भी जताई गई कि दिल्ली के वाहन मालिक उत्तर प्रदेश या हरियाणा के एनसीआर जिलों से ईंधन लेने लगेंगे, जिससे नीति का मकसद विफल हो जाएगा। इसलिए अब यह निर्णय लिया गया है कि दिल्ली में एक नवंबर से पेट्रोल-डीजल पर प्रतिबंध शुरू होगा। उसी दिन से एनसीआर के जिलों में भी तय आयु पार कर चुके वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा।

दिल्ली में पेट्रोल पंपों द्वारा तय अवधि से पुराने वाहनों को ईंधन देने से इनकार किए जाने के दो दिन बाद, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था से परिचालन और अवसंरचनात्मक चुनौतियों का हवाला देते हुए नीति को लागू करने पर रोक लगाने का आग्रह किया। इसके बाद CAQM ने दिल्ली में 31 अक्तूबर तक पुराने वाहनों को ईंधन देने की अनुमति देते हुए एक नया आदेश जारी किया, जिससे जनता को अस्थायी राहत मिली। अब 1 नवंबर से पूरे दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा।

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Old vehicle ban: दिल्ली में पुराने वाहनों के लिए ‘ईंधन प्रतिबंध’ क्या है?

पहले के आदेश में एक जुलाई से 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को कानूनी रूप से दिल्ली के ईंधन स्टेशनों से पेट्रोल-डीजल लेने की अनुमति नहीं थी। अप्रैल में CAQM ने एनसीआर में फ्यूल स्टेशनों को इन *End-of-Life Vehicles* को चरणबद्ध तरीके से ईंधन देने से मना करने का निर्देश दिया था—दिल्ली में एक जुलाई से, एनसीआर के उच्च घनत्व जिलों में एक नवंबर से, और शेष एनसीआर में एक अप्रैल 2026 से। अब यह प्रतिबंध दिल्ली और एनसीआर जिलों में एकसाथ एक नवंबर से लागू किया जाएगा।

दिल्ली सरकार ने 498 फ्यूल स्टेशन—382 पेट्रोल/डीजल और 116 CNG स्टेशनों—और तीन ISBT बस अड्डों पर ANPR (Automatic Number Plate Recognition) कैमरे लगाए ताकि वाहनों की नंबर प्लेट स्कैन की जा सके और उन्हें ‘वाहन’ डेटाबेस से मिलान किया जा सके। अगर स्कैन में यह सामने आता कि वाहन तय उम्र पार कर चुका है, तो एक ऑडियो अलार्म बजता और ऐसे वाहनों को ईंधन देने से इनकार कर दिया जाता था। वैध दस्तावेज न होने पर वाहन को जब्त करके स्क्रैपिंग (Scrapping) के लिए भेज दिया जाता था।

CAQM के निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस और नगर निगमों की संयुक्त टीमें बनाई गई थीं। हालांकि, प्रवर्तन में ढिलाई भी देखी गई। 1 जुलाई को 80 वाहन जब्त किए गए, लेकिन 2 जुलाई को संख्या घटकर 7 रह गई। आदेश संशोधन से पहले अंतिम दो दिनों में कोई वाहन जब्त नहीं किया गया।

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CAQM को लिखे पत्र में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि निर्देशों का तत्काल कार्यान्वयन समयपूर्व और प्रतिकूल हो सकता है। उन्होंने बताया कि ANPR आधारित प्रवर्तन प्रणाली में तकनीकी समस्याएं थीं—जैसे कैमरे की स्थिति, सेंसर और स्पीकर का काम न करना। साथ ही, यह प्रणाली उन वाहनों की पहचान नहीं कर पा रही थी जिनकी HSRP (High Security Registration Plate) में खामी थी।

सिरसा ने कहा कि NCR राज्यों के वाहन डेटा के साथ एकीकरण की कमी के कारण वाहन मालिक अन्य जिलों से ईंधन खरीदने लगेंगे, जिससे प्रतिबंध निष्प्रभावी हो जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि तकनीकी खामियों के कारण जनता में असंतोष और आक्रोश फैल रहा है। ‘वाहन’ डेटाबेस के अनुसार, दिल्ली में लगभग 62 लाख ELVs हैं—जिनमें 41 लाख दोपहिया, 18 लाख चारपहिया और शेष वाणिज्यिक वाहन हैं। हरियाणा में 27.5 लाख, उत्तर प्रदेश में 12.4 लाख और राजस्थान में 6.1 लाख ELVs हैं।

Old vehicle ban: यदि पुराने वाहन सड़क योग्य हैं तो क्या समस्या है?

अधिकारियों का तर्क है कि BS-VI से पहले के वाहन प्रदूषण में असमान रूप से योगदान देते हैं। उदाहरण के लिए, BS-IV वाहन, BS-VI वाहनों की तुलना में 4.5 से 5.5 गुना अधिक पार्टिकुलेट मैटर (PM) उत्सर्जित करते हैं। BS-VI मानक 1 अप्रैल 2020 से अनिवार्य किए गए थे।

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आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, NCR में परिवहन क्षेत्र से PM 2.5 का 28%, SO2 का 41% और NOx का 78% उत्सर्जन होता है। CAQM का कहना है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण में वाहनों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।

भले ही कानूनी आदेश 2015 से मौजूद हैं, लेकिन तकनीकी बुनियादी ढांचे के अभाव में इनका कार्यान्वयन बार-बार टलता रहा। CAQM के तकनीकी सदस्य वीरेन्द्र शर्मा के अनुसार, ऐसे पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए सिर्फ ईंधन बंद करने जैसे सख्त कदम ही कारगर होंगे।

Old vehicle ban: कानूनी आदेश क्या कहता है?

2015 में NGT ने निर्देश दिया था कि 10 साल से पुराने डीजल वाहन और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन दिल्ली-एनसीआर में न तो पंजीकृत होंगे, न ही चलाए जाएंगे यानी Old vehicle ban लागू होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस आदेश को बरकरार रखा और उल्लंघन करने वाले वाहनों को जब्त करने का निर्देश दिया। पिछले साल दिल्ली सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम और Registered Vehicle Scrapping Facility (RVSF) नियमों के तहत दिशा-निर्देश जारी किए। हाल ही में लागू Environmental Protection (Vehicle End-of-Life) Rules, 2025 के तहत, वाहन के रजिस्ट्रेशन की समाप्ति के 180 दिनों के भीतर उसका स्क्रैप होना अनिवार्य है।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता के लिए क्या यह पर्याप्त उपाय है?

विशेषज्ञों का कहना है कि Old vehicle ban जैसे किसी एक उपाय से समाधान नहीं निकलेगा। Centre for Science and Environment (CSE) का कहना है कि आयु सीमा को पूरे देश के लिए एकमात्र मानक नहीं बनाया जा सकता। कई बार तकनीकी खराबी या रखरखाव की कमी से नए वाहन भी प्रदूषण फैला सकते हैं। CSE ने ईंधन और उत्सर्जन मानकों में सुधार, सख्त प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली और सार्वजनिक परिवहन में सुधार की सिफारिश की है।

Old vehicle ban: भारत की स्क्रैपिंग नीति

भारत में निजी वाहन 20 साल और वाणिज्यिक वाहन 15 साल पुराने होने पर फिटनेस टेस्ट में असफल रहने पर स्क्रैप किए जाते हैं। मालिक को RTO को सूचित करना होता है, RC और चेसिस प्लेट जमा करनी होती है, और एक शपथ पत्र देना होता है कि वाहन पर कोई ऋण, बीमा दावा या अदालती विवाद लंबित नहीं है। फिर उसे Authorized Scrapping Facility में भेजा जाता है, जहां खतरनाक सामग्री हटाकर वाहन को Recycle किया जाता है।

प्रोत्साहन: 
21 राज्यों में निजी वाहन स्क्रैपिंग पर 25% और वाणिज्यिक वाहनों पर 15% तक की छूट दी जाती है।

पर्यावरणीय प्रभाव:
2025 तक भारत में दो करोड़ से अधिक पुराने वाहन होंगे। प्रदूषण घटाने के लिए प्रभावी स्क्रैपिंग नीति जरूरी है।

Old vehicle ban: यूरोप में ELV और Recycling प्रक्रिया

यूरोप में कोई सख्त आयु सीमा नहीं है। वाहन तब तक सड़क पर रह सकते हैं, जब तक वे MOT जैसे तकनीकी परीक्षणों में पास होते हैं। पुराने वाहन जब चलने योग्य नहीं रहते, तो उन्हें *Authorized Treatment Facility (ATF)* में ले जाया जाता है, जहां Battery, Refrigerants और अन्य खतरनाक पदार्थ हटाकर उन्हें पर्यावरण-सम्मत तरीके से Recycle किया जाता है।

Old vehicle ban: EU का नया प्रस्ताव (13 जुलाई 2023):

पुराने वाहनों को *Residual Vehicles* के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है यदि उनके मुख्य घटक फेल हो जाएं।
नए वाहनों में 25% तक Recycled Plastic का उपयोग अनिवार्य हो सकता है। यह नीति 2035 तक 12.8 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन कम कर सकती है, 22,000 नौकरियां पैदा कर सकती है।

विवाद:

सोशल मीडिया पर दावा है कि EU सभी पुराने वाहनों को जब्त करेगा, पर यह गलत है। यह प्रस्ताव मुख्य रूप से निर्माता और स्क्रैपिंग उद्योग पर केंद्रित है।

अमेरिका में नीति

अमेरिका में कोई राष्ट्रीय आयु सीमा नहीं है। वाहन तब तक चल सकते हैं, जब तक वे सड़क पर चलने योग्य हों और Emission तथा Safety Norms का पालन करें। औसतन, वाहन 12 साल तक चलते हैं। त्यागे गए वाहनों को स्थानीय प्रशासन कबाड़ में बदलता है।

कैलिफोर्निया में Vehicle Retirement Program है, जहां उच्च प्रदूषण वाले वाहनों को स्क्रैप करने पर भुगतान किया जाता है। EPA के दस्तावेजों के अनुसार, ELVs का Disposal पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिए—जैसे बैटरियों, रेफ्रिजरेंट और खतरनाक पदार्थों को हटाना।

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