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सेवाधाम आश्रम में दिखा राष्ट्र और समाज के प्रति कर्तव्य और जिम्मेदारियों का संगम

अंकित ग्राम सेवाधाम आश्रम उज्जैन में रह रहे लगभग एक हजार से ज्यादा दिव्यांगों ने समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए हर घर तिरंगा फहराने के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इसके साथ ही आश्रम परिवार ने रक्षाबंधन पर सामूहिक रूप से एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधकर प्रेम और सद्भाव का संकल्प लिया।

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खास बात यह रही कि आश्रम परिवार के मुखिया सुधीर भाई गोयल एवं परिवार को महारोगी एवं दिव्यांग बहनों ने रक्षा सूत्र बांधा। सुधीर भाई ने सभी को आशीर्वाद दिया और उनके कल्याण की कामना की।

इस बार आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके तहत 75वें स्वतंत्रता दिवस ‘अमृत महोत्सव’ पर सेवाधाम आश्रम में 90 वर्षीय वृद्ध और बच्चों ने ध्वजारोहण किया। इसी के साथ 31वें वर्षा मंगल महोत्सव के तीन दिवसीय राष्ट्रीय पर्यावरण-सेवा-संस्कार-मित्र मिलन कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक वेद प्रताप वैदिक भी सेवाधाम आश्रम पहुंचे और अंकित ग्राम में पौधरोपण किया।

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इस अवसर पर उन्होंने आश्रम के दिव्यांग बच्चों, युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों से मुलाकात की, उनका हालचाल जाना तथा आश्रम में हो रहे कार्यों को देखा। आश्रम के संचालक सुधीर भाई गोयल की देखरेख और नेतृत्व में उनकी देखभाल और सेवा भाव की उन्होंने सराहना की। आश्रम के बच्चों ने अतिथियों के सम्मान में देशभक्ति और संस्कार से युक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में छोटे-छोटे बच्चों ने देवरूपों और स्वतंत्रता सेनानियों की वेशभूषा में एक से बढ़कर एक मोहक प्रस्तुति दी।

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इससे पहले सुधीर भाई गोयल ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक वेद प्रताप वैदिक को परंपरागत रूप से पगड़ी बांधी, अंगवस्त्रम और पुष्प गुच्छ दिए और मंगल टीका लगाकर स्वागत किया। आरिफ मोहम्मद खान और वेद प्रताप वैदिक ने आश्रम में रह रहे करीब एक हजार से ज्यादा लोगों के इस संस्कार की सराहना की।

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने संबोधन में कहा कि ये बच्चे यहां सिर्फ बच्चे ही नहीं है, ये कल के हमारे भविष्य है और देश को आगे ले जाने वाले नेता बनेंगे। इनकी प्रतिभा, इनके संस्कार और इनकी सीखने की ललक बताती है कि इनकी दिव्यांगता सिर्फ शारीरिक है, मानसिक रूप से ये बहुत मजबूत और कुशल हैं। उन्होंने सुधीर भाई गोयल की सराहना करते हुए कहा कि वह एक ऐसे महापुरुष हैं, जिन्होंने समाज के हजारों पीड़ितों, बेसहारों और दुखियों के अभिभावक बनकर उनकी तकदीर बदल दी है।

आश्रम के बच्चों ने भगवान कृष्ण की तरह एक के ऊपर एक चढ़कर मटका फोड़ने और योगासन का प्रदर्शन किया। दिव्यांग बच्चों के इस करतब और अनुशासन को देख अतिथि और वहां मौजूद हर कोई चकित रह गया। उन्होंने तालियां बजाकर उनकी प्रशंसा की।

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दोनों अतिथियों ने सुधीर भाई गोयल, उनकी पत्नी कांतादेवी गोयल और बेटियों और आश्रम से जुड़े सभी सहयोगियों के समर्पण और सेवाभावना को प्रेरणादायी बताते हुए उनको अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।

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