शक्तिकांत दास का कार्यकाल बढ़ा, 2024 तक बने रहेंगे RBI गवर्नर

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास 1980 बैच के आईएएस अफसर हैं। (Photo credit; India Today/ PTI)

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रिजर्व बैंक के गवर्नर जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे अफसर की जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा होती हैं। देश की बैंकिंग व्यवस्था और अर्थतंत्र की मजबूती के लिए रिजर्व बैंक की नीतियां काफी हद तक अहम होती हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने वर्तमान गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास को तीन साल का सेवा विस्तार देने का फैसला किया है। उनके कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी कैबिनेट की चयन समिति ने दी है।

सरकार ने उनको दिसंबर 2024 तक के लिए तीन वर्ष का सेवा विस्तार दिया है। अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने पर वह केंद्रीय बैंक के दूसरे सबसे लंबे कार्यकाल वाले गवर्नर बन जाएंगे। दास को 11 दिसंबर, 2018 को रिजर्व बैंक का 25वां गवर्नर नियुक्त किया गया था। उन्हें तीन वर्ष के लिए नियुक्त किया गया था। दास को उनके पूर्ववर्ती उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफा देने के बाद रिजर्व बैंक की कमान सौंपी गयी थी।

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बृहस्पतिवार के एक आधिकारिक आदेश में कहा गया कि सरकार दास को रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में पुन: नियुक्त कर रही है। उनकी नियुक्ति 10 दिसंबर, 2021 के बाद से तीन वर्ष के लिए की जा रही है। इसका मतलब है कि वह दिसंबर 2024 तक केंद्रीय बैंक की कमान संभालेंगे।

सेवा विस्तार पिछले दो दशकों में प्रचलित दो वर्ष के कार्यकाल के नियम की तुलना में लंबा है। अर्थव्यवस्था कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव से उबर रही है। ऐसे में उनकी पुन: नियुक्ति से अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर स्थिरता सुनिश्चित होगी।

वह इतना लंबा कार्यकाल हासिल करने वाले पांचवें गवर्नर होंगे। आमतौर पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। कार्यकाल पूरा होने पर वह सर बेनेगल रामा राव के बाद केंद्रीय बैंक में सबसे लंबे कार्यकाल वाले गवर्नर बन जाएंगे। राव एक जुलाई 1949 से 14 जनवरी, 1957 तक सात साल, 197 दिन रिजर्व बैंक के गवर्नर थे।

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पांच वर्ष से ज्यादा समय तक रिजर्व बैंक के गवर्नर पद पर सेवा देने वालों में बिमल जालान (नवंबर 1997 से सितंबर 2003), जेम्स टेलर (जुलाई 1937 से फरवरी 1943), बी पी भट्टाचार्य (मार्च 1962 से जून 1967), और सी डी देशमुख (अगस्त 1943 से जून 1949) शामिल हैं।

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मोदी सरकार के अधीन कार्यरत रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर रघुराम राजन ने अपना तीन साल का पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद पद छोड़ दिया। उनके उत्तराधिकारी और दास के पूर्ववर्ती उर्जित पटेल दो साल 98 दिनों के लिए पद पर थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में की गयी मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की एक बैठक में दास को सेवा विस्तार देने का फैसला किया गया।

आदेश के अनुसार, “मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी (तमिलनाडु कैडर, 1980 बैच) शक्तिकांत दास को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में 10 दिसंबर, 2021 से आगे तीन साल की अवधि के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, पुन: नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है।”

दास ने कोविड-19 महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उनके नेतृत्व में, केंद्रीय बैंक ने अभूतपूर्व संकट के दौरान वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए 100 से अधिक उपायों की घोषणा की।

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शक्तिकांत दास राजस्व विभाग के सचिव और आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। वह 15वें वित्त आयोग और भारत के जी20 शेरपा के सदस्य के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने वित्त, टैक्सेशन, इंडस्ट्रीज और इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर चुके हैं। वह पिछले 38 वर्षों से सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

अब तक 8 केंद्रीय बजट को बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने 17 मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी का नेतृत्व भी किया है। उन्हीं के नेतृत्व में कोरोना महामारी के असर से भारतीय इकोनॉमी को लगे झटके से उबारने के लिए दरों को ऐतिहासिक न्यून स्तर पर रखने का फैसला किया गया।

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