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विदेशी फौज के रुख्सत होते ही तालिबान के भरोसे हुए अफगानी

अफगानिस्तान की जमीन से विदेशी सैनिकों के जाने के बाद तालिबानी क्रूरता से खौफजदा अफगानी लोग। (Photo Source: (Reuters)  

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निश्चित तिथि बीतने से ठीक पहले आखिरकार अमेरिका ने भी अफगानिस्तान की सरजमीं से रुखसत हो गया और अफगानी जनता को उनकी अपनी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया। अमेरिका और तालिबान दोनों ने इस बात की पुष्टि की है कि काबुल से आखिरी उड़ान भरने के साथ ही वहां अब कोई अमेरिकी सैनिक नहीं रह गया है। अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल तक चले सैन्य मिशन का अंत हो गया है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक तस्वीर जारी कर अफगानिस्तान छोड़ने वाले आखिरी अमेरिकन का नाम बताया है। इसमें कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने वाले आख़िरी अमेरिकी सैनिक मेजर जनरल क्रिस डोनाहू हैं। काबुल से निकला आख़िरी विमान सी-17 विमान था।

अमेरिका के शीर्ष सैन्य कमांडर जनरल मैकेंज़ी ने बताया कि अमेरिका का अंतिम सी-17 विमान मंगलवार आधी रात (स्थानीय समयानुसार) के तुरंत बाद ही अमेरिकी राजदूत के साथ काबुल से रवाना हो गया। उन्होंने कहा कि जो लोग तय समय सीमा से पहले नहीं जा सके उनकी सहायता के लिए राजनयिक मिशन जारी रहेगा।

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अमेरिका का अंतिम विमान टेकऑफ होते ही काबुल एयरपोर्ट और काबुल की सड़कों पर तालिबानियों ने गोलियां दागकर जश्न मनाया। 14 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा कर लिया था, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोगों को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकाला गया। जनरल मैकेंज़ी ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के गठबंधन ने कुल मिलाकर लगभग सवा लाख नागरिकों को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकाला है।

इसका अर्थ यह हुआ कि हर रोज़ क़रीब साढ़े सात हज़ार से अधिक लोग अफ़ग़ानिस्तान छोड़कर गए हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने अफ़ग़निस्तान से अमेरिका की पूर्ण वापसी के मौक़े पर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान से लोगों को निकालना अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती थी। उन्होंने इसे बड़े पैमान पर अंजाम दिया गया एक सैन्य, राजनयिक और मानवीय अभियान बताया। कहा, “सैन्य मिशन ख़त्म हो गया है। एक नया राजनयिक मिशन शुरू हो गया है।”

घोषणा के तुरंत बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि तालिबान को अपनी वैधता हासिल करने की ज़रूरत है और इस बात का फ़ैसला इसी से होगा कि उन्होंने नागरिकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को किस हद तक पूरा किया।

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अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि सभी अमेरिकी प्रतिनिधि काबुल छोड़ चुके हैं और अमेरिका अब दोहा में अफ़ग़ानिस्तान के लिए एक राजनयिक कार्यालय स्थापित करेगा। यह कार्यालय अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के इच्छुक अमेरिकियों और अमेरिकी पासपोर्ट धारक अफ़ग़ान नागरिकों को अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने में मदद करने के प्रयास को जारी रखेगा।

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले 17 दिनों में अफ़ग़ानिस्तान से लोगों को निकाले जाने के अभियान में शामिल सभी लोगों को धन्यवाद देते हुए एक संक्षिप्त बयान जारी किया। वह मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित कर सकते हैं।

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इस बीच, अमेरिका ने अभी तक उन रिपोर्टों पर टिप्पणी नहीं की है जिसमें एक संदिग्ध आत्मघाती हमलावर पर कथित अमेरिकी ड्रोन हमले में कई नागरिक मारे गए। इनमें छह बच्चे शामिल थे और साथ ही अमेरिकी सेना के साथ अनुवादक के तौर पर जुड़े एक नागरिक भी थे।

पिछले कुछ दिनों में देश छोड़कर चले गए हज़ारों अफ़ग़ानों के लिए आने वाले दिन अनिश्चितता और भय से भरे हुए हैं। उन्हें नहीं पता कि क्या वे अपनी मातृभूमि को फिर से देख पाएंगे या नहीं। देश में रहने वाले 38 मिलियन अफ़ग़ानों के लिए तालिबान किस तरह का शासन लागू करेंगे, इसे लेकर भी संदेह और शंका है। डर है कि क्या वे उन कठोर नियमों और दंडों को वापस लाएंगे जो बीते शासन के दौरान उनकी पहचान बन गए थे।

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अफ़ग़ानिस्तान के कई ग्रामीण इलाकों में लोगों का मानना है कि तालिबान पहले से कहीं अधिक ख़तरनाक हो गया है। महिलाओं और लड़कियों को थोड़ी-सी स्वतंत्रता मिली क्योंकि पश्चिमी गठबंधन सेना ने शिक्षा को प्रोत्साहित किया, लेकिन उन लड़कियों का अब क्या जो 20 सालों में आज़ादी महसूस करके बड़ी हुई हैं। जो अब मानती हैं कि वे वह जीवन नहीं जी सकतीं जिसका उनसे वादा किया गया था।

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