कांग्रेस के प्रति ममता की ‘निर्ममता’; देश की सबसे पुरानी पार्टी से दूर हो रहा विपक्ष

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी में फिलहाल दूरी साफ-साफ नजर आ रही है। (Photo Source- PTI File)

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भारतीय राजनीति में जिस तरह का परिवर्तन हो रहा है, वह उस भविष्य का एक संकेत है, जिसकी जड़ में वह भूतकाल गायब होगा, जो अभी वर्तमान का आधार है। कांग्रेस पार्टी वर्षों सत्ता में रही, उसके पहले पार्टी अपनी स्थापना के समय से अंग्रेजी शासकों के खिलाफ लगातार प्रमुखता से संघर्ष करती रही। अब आज हालत यह है कि कोई भी दल कांग्रेस के साथ रहना नहीं चाहती है। जबकि करीब-करीब सभी दलों में कई नेताओं का उदय ही कांग्रेस से हुआ है।

कांग्रेस की यह हालत क्यों है और इसके पीछे नेताओं की कांग्रेस के बारे में ऐसी छवि क्यों बनी है। खुद कांग्रेस पार्टी के अंदर असंतोष की गहरी धारा बह रही है। ग्रुप-23 (G-23) के नेताओं ने तो अपना असंतोष सार्वजनिक कर ही दिया है, कुछ और नेता भी अंदर से असंतुष्ट हैं, लेकिन उनके पास दूसरा कोई आधार नहीं है, जिसका वह सहारा पा सकें।

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: खास बातें :
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो बनर्जी ने हालिया मुंबई यात्रा के दौरान कहा था कि “अब कोई संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) नहीं है।” अपने मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में कांग्रेस के बारे में लिखा गया था कि वह ‘डीप फ्रीजर’ में चली गई है। 

हाल ही में मुखपत्र में यह भी दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं, बल्कि ममता बनर्जी विपक्ष के चेहरे के रूप में उभरी हैं। इससे साफ है कि राहुल गांधी दरकिनार किए जा रहे हैं।

ऐसी बेरोजगारी की हालत में वे कांग्रेस सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ रहे हैं, कि कहीं वे बाहर कर दिए गए तो जाएंगे कहां। इन सब गतिविधियों के पीछे पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की अगुवाई की बात बताई जा रही है। आखिर कांग्रेस के प्रति ममता इतनी निर्ममता क्यों दिखा रही हैं। यह अभी देखा जाना शेष है।

इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस के बिना गठबंधन पर विचार कर रही हैं। राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक’ में यह भी दावा किया कि बनर्जी ने कहा है कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) महाराष्ट्र में सियासी आजमाइश नहीं करेगी।

उल्लेखनीय है कि टीएमसी नेतृत्व ने शनिवार को कहा था कि वह एक वैकल्पिक मोर्चा बनाना जारी रखेगी, क्योंकि कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ “लड़ाई का नेतृत्व करने में विफल” रही है। बनर्जी ने अपनी हालिया मुंबई यात्रा के दौरान कहा था कि “अब कोई संप्रग (यूपीए) नहीं है।”

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शुक्रवार को टीएमसी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में कांग्रेस पर नये सिरे से हमला करते हुए कहा गया था कि वह ‘डीप फ्रीजर’ में चली गई है। हाल में ‘जागो बांग्ला’ में यह भी दावा किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं बल्कि ममता बनर्जी विपक्ष के चेहरे के रूप में उभरी हैं।

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महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करने वाली शिवसेना के सांसद ने रविवार को दावा किया कि “ऐसा लगता है कि बनर्जी कांग्रेस को बाहर रखकर कुछ नया करने पर विचार कर रही हैं।” उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ दिन पहले यहां शिवसेना नेता एवं राज्य मंत्री आदित्य ठाकरे से मुलाकात के दौरान बनर्जी ने कहा था कि “हम यहां नहीं आएंगे क्योंकि शिवसेना और राकांपा मजबूत हैं।”

राज्यसभा सदस्य ने कहा कि टीएमसी पड़ोसी राज्य गोवा में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है और त्रिपुरा और मेघालय के उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी अपने पैर पसार रही है। उन्होंने कहा कि अपनी मुंबई यात्रा के दौरान बनर्जी ने आदित्य ठाकरे के साथ दोनों राज्यों के बीच पर्यटन और संस्कृति के आदान-प्रदान पर चर्चा की थी।

Mamata Banerjee ने UPA के ख़ात्मे का किया ऐलान | Rahul Gandhi | Mumbai | Bengal CM | Latest News

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उन्होंने ठाकरे को आगामी कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए भी आमंत्रित किया। सामना ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखना और इसके बिना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के समानांतर विपक्षी गठबंधन बनाना सत्तारूढ़ भाजपा और “फासीवादी” ताकतों को मजबूत करने के समान है।

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