ड्रैगन की तंग चाल- पहले हाथ बढ़ाओ, फिर सीमा पार कर भड़काओ

भारत और चीन के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता विफल। (PHOTO SOURCE: PTI)

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भारत और चीन के बीच विवाद का कोई स्थायी हल नहीं निकल रहा है। इसकी वजह से दोनों देशों के संबंधों में सुधार होने और आपसी व्यापार और सहयोग बढ़ाने की तरफ कदम नहीं बढ़ रहे हैं। एक बार बातचीत होती है और तय होता है कि दोनों देश अपनी-अपनी सीमा में रहते हुए एक-दूसरे के प्रति पड़ोसी की भावना के साथ काम करेंगे, लेकिन बीच-बीच में चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुसकर भारत को उकसाने और भड़काने की कार्रवाई करते रहते हैं। इससे संबंधों में फिर कटुता आने लगती है।

चीन दरअसल यही चाहता है। यह उसकी चाल है। वह पहले हाथ बढ़ाता है और फिर भड़काता है। चीन कभी नहीं चाहता है कि भारत शांति से रह सके। वह उसको तंग करता रहेगा। चीन को लगता है कि उसका पड़ोसी जितना परेशान रहेगा, चीन का उतना ही फायदा होगा। छोटे देशों को वह डरा-धमकाकर और कर्ज के जाल में फंसाकर अपनी गिरफ्त में लेता रहता है, तो भारत की सीमा में हमले करके या अपने सैनिकों को भेजकर तंग करने में उसे मजा आता है।

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इस बीच भारत और चीन के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का समाधान निकालने में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि उसके द्वारा दिए गए ‘सकारात्मक सुझावों’ पर चीनी सेना सहमत नहीं लगी।

भारतीय सेना ने जो वक्तव्य जारी किया, उसमें मामले पर उसके सख्त रुख का संकेत मिला। सेना ने कहा कि रविवार को हुई बैठक में, बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान नहीं निकला और भारतीय पक्ष ने जोर देकर कहा कि वह चीनी पक्ष से इस दिशा में काम करने की उम्मीद करता है।

सेना ने एक वक्तव्य में कहा, “वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं लगा और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका। अत: बैठक में बाकी के क्षेत्रों के संबंध में कोई समाधान नहीं निकल सका।”

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यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चूशुल-मोल्दो सीमा क्षेत्र में चीन की तरफ रविवार को हुई। वार्ता करीब साढ़े आठ घंटे तक चली। सेना ने कहा कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने इस बात का उल्लेख किया कि एलएसी पर जो हालात बने वे यथास्थिति को बदलने के चीन के ‘एकतरफा प्रयासों’ के कारण पैदा हुए हैं और यह द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन भी करते हैं। उसने कहा, “इसलिए यह आवश्यक है कि चीनी पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन और चैन की बहाली के लिए बाकी के क्षेत्रों में उचित कदम उठाए।”

भारतीय पक्ष ने जोर देकर कहा कि बाकी के क्षेत्रों में लंबित मुद्दों के समाधान से द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति होगी। भारतीय पक्ष ने चीन और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच पिछले महीने हुई वार्ता का भी जिक्र किया, जो ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर हुई थी।

सेना ने कहा, “यह दुशांबे में विदेश मंत्रियों के बीच हाल में हुई बैठक में दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप होगा, जिसमें उनके बीच सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष लंबित मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान निकालें।”

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सेना ने कहा, “बैठक के दौरान भारतीय पक्ष ने बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं लगा। उसने इस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर कोई प्रस्ताव भी नहीं दिए।”

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उसने कहा कि दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने तथा संवाद कायम रखने पर सहमत हुए। सेना ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण परिदृश्य को ध्यान में रखेगा और द्विपक्षीय समझौतों और नियमों का पालन करते हुए लंबित मुद्दों के जल्द समाधान के लिए काम करेगा।”

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