वाशिंगटन में व्हाइट हाउस में क्वाड लीडर के शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन और जापानी पीएम योशीहिदे सुगा। (पीटीआई फोटो)
दुनिया के चार देशों का संगठन ‘क्वॉड’ जब से बना है तब से वह चीन की आंखों में किरकिरी जैसी लग रही है। चीन इससे काफी बेचैन रहता है। हालांकि चीन इस पर खुलकर कोई विरोध नहीं जता पाता है। दूसरी तरफ क्वाड देशों का कहना है कि आतंकवाद तथा क्षेत्र विशेष में छोटे पड़ोसियों पर अधिकार जमाने की किसी भी हरकत का यह मंच पुरजोर विरोध करेगा। यह बयान चीन के लिए चुभने वाला है। चीन की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति न केवल पड़ोसियों बल्कि दुनिया की शांति में लगातार खलल डालने जैसा है। फिलहाल चीन और पाकिस्तान का ब्लड प्रेशर बढ़ गया है।
‘क्वॉड’ देशों- अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेताओं ने दक्षिण एशिया में ‘पर्दे के पीछे से आतंकवाद के उपयोग’ (आतंकवादी प्रॉक्सी) के प्रयोग की भी निंदा की। उनका इशारा परोक्ष रूप से पाकिस्तान की तरफ था। नेताओं ने आतंकवादी संगठनों को किसी भी समर्थन से इनकार करने के महत्त्व पर जोर दिया, जिसका उपयोग सीमा पार हमलों सहित आतंकवादी हमलों को शुरू करने या साजिश रचने के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा क्वॉड नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ‘मुक्त एवं स्वतंत्र’ और ‘समावेशी एवं लचीला’ बनाने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा कि चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाजी का गवाह बन रहा यह रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र उनकी साझा सुरक्षा और समृद्धि का आधार है।
शुक्रवार को वाइट हाउस में अपनी पहली आमने-सामने की बैठक के बाद क्वॉड नेताओं- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और उनके ऑस्ट्रेलिया समकक्ष स्कॉट मॉरिसन ने संयुक्त बयान में कहा कि वे अफगानिस्तान के प्रति अपनी कूटनीतिक, आर्थिक और मानवाधिकार नीतियों का करीब से समन्वय करेंगे और दक्षिण एशिया में अपने आतंकवाद विरोधी और मानवीय सहयोग को गहरा करेंगे।
संयुक्त बयान में कहा गया, ‘हम पर्दे के पीछे से आतंकवाद के उपयोग की निंदा करते हैं और आतंकवादी समूहों को किसी भी सैन्य, वित्तीय या सैन्य सहायता से इनकार करने के महत्व पर जोर देते हैं, जिसका उपयोग सीमा पार हमलों सहित आतंकवादी हमलों को शुरू करने या योजना बनाने के लिए किया जा सकता है।’
क्वॉड नेताओं ने पुष्टि की कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने, या आतंकवादी कृत्यों की योजना बनाने या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए। वे अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को भी दोहराते हैं।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर क्वॉड नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा, ‘हम विधि के शासन, नौवहन की स्वतंत्रता और ऊपर से विमानों को गुजरने देने की अनुमति देने, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, लोकतांत्रिक मूल्यों, देशों की क्षेत्रीय अखंडता के समर्थक हैं।’

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