AUKUS से ड्रैगन बौखलाया, व्हाइट हाउस बोला-शक्ति संतुलन जरूरी

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन। (Photo Source- Nepal foreign affairs)

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस’ से चीन बौखला उठा है और इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मान रहा है। उसकी लगातार आलोचना के बीच व्हाइट हाउस ने कहा है कि इस गठबंधन का संबंध किसी एक देश से नहीं है, बल्कि इसका मकसद अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाना तथा हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता को प्रोत्साहित करते हुए नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बरकरार रखना है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने गुरुवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बुधवार को जिस साझेदारी की घोषणा की गई, वह किसी एक देश के लिए नहीं है। इसका मकसद हमारे रणनीतिक हितों, अमेरिका के रणनीतिक हितों को प्रोत्साहित करना, नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बरकरार रखना और हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देना है।’’

ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र के लिए एक नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस’ (AUKUS) की घोषणा की है, ताकि वे अपने साझा हितों की रक्षा कर सकें और परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियां हासिल करने में ऑस्ट्रेलिया की मदद करने समेत रक्षा क्षमताओं को बेहतर तरीके से साझा कर सकें। इस महत्वाकांक्षी सुरक्षा पहल की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक संयुक्त बयान में की।

बयान में उन्होंने कहा कि इस पहल से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा और उनके साझा मूल्यों एवं हितों को सहयोग मिलेगा। चीन ने त्रिपक्षीय सैन्य साझेदारी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह इस समझौते पर करीबी नजर रखेगा, जो क्षेत्रीय स्थिरता को काफी कमजोर कर देगा और हथियारों की होड़ बढ़ाएगा तथा परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा।

READ: हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की ताकत को जवाब देने के लिए आया AUKUS

ALSO READ: दुनिया को मुट्ठी में बांध लेने की चीन की हिमाकत

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘‘अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों में सहयोग कर रहे हैं जो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को काफी कमजोर कर देगा, हथियारों की होड़ बढ़ा देगा और परमाणु अप्रसार की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को नुकसान पहुंचाएगा।’’

बीजिंग दक्षिण चीन सागर के लगभग 13 लाख वर्ग मील के भूभाग को अपना क्षेत्र मानता है। चीन क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य शिविर बना रहा है। इस क्षेत्र पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलिपीन, ताईवान और वियतनाम भी दावा करते हैं।

The Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) is a center aimed at conducting in-depth studies and research on socio-political, national-international, environmental issues. It provides readers with in-depth knowledge of burning issues and encourages them to think deeply about them. On this platform, we will also give opportunities to the budding, bright and talented students to research and explore new avenues.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Top 13 Colleges in Northeast USA By Campus Land Area Top 13 Colleges by Size in Northeast USA- By Enrollment Top 13 Best Apps on How to Learn Japanese in Hawaii USA 13 Fastest Online Criminal Justice Degree Programs Universities of 2024 13 Best SOC 2 Compliance Training Vendors in USA 13 Top Medical Billing and Coding Online Courses & Colleges in USA 13 Unique Cyber Security Courses Online in USA 19 Lesser Known Online Bachelor’s Degree Courses in USA 13 Remarkable Polysomnography Certificate Program Colleges in USA 13 Highly-Regarded Online Graduate Programs in USA