Israel Hamas War: इजराइल-हमास संघर्ष: फिलिस्तीनियों का ‘ओसामा बिन लादेन’ मोहम्मद दीफ़’

Hamas Attack Mastermind Mohammed Deif: 7 अक्टूबर 2023 की भोर फिलिस्तीनी आतंकी समूह हमास के लड़ाकों ने जब इजराइल पर अचानक हमला किया, तब किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि ऐसा कुछ होने वाला है। हमले में अब तक दोनों ओर के 6000 से ज्यादा नागरिक और सैन्य कर्मी मारे जा चुके हैं। सैकड़ों लोगों को हमास के आतंकी लड़ाकों ने बंधक बना लिया है। हमास एक लड़ाका संगठन है, जिसको अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देश आतंकी संगठन मानते हैं। इस हमले को इजराइल ने ‘युद्ध की शुरुआत’ कहा और तगड़ा जवाबी कार्रवाई की। हमास ने जो कुछ किया उसका मास्टरमाइंड कौन है? किसने इस हमले की साजिश रची, और वक्त और तारीख का फैसला किसने किया?

जानिये उस खौफनाक मनोचिकित्सक को, जिसने रचा कुचक्र

वह एक ऐसा आतंकी है, जिसके एक पैर और दोनों हाथ नहीं हैं। उसकी एक आंख भी खराब हो चुकी है। वह पूरी तरह से व्हीलचेयर पर बैठकर दूसरों पर निर्भर होकर काम करता है। उसका पूरा नाम मोहम्मद दीब इब्राहिम अल-मसरी है। आम बोलचाल में उसने अपना नाम बदलकर केवल मोहम्मद दीफ़ (Mohammed Deif) रख लिया है। वह मनोचिकित्सक भी है और बम बनाने का विशेषज्ञ है। इजराइल ने उसको कई बार मारने का प्रयास किया, लेकिन हर बार वह चकमा देकर बच निकला, इसीलिए उसे बड़ा किस्मत वाला (अंग्रेजी में कैट विथ नाइन लाइव्स) भी कहा जाता है। ऐसे ही एक हमले में उसने हाथ-पैर और आंख गंवा दी थी।

एक दशक से छिपकर रह रहा है

वह पिछले एक दशक से ज्यादा समय से छिपकर गुमनामी की जिंदगी जी रहा है। वह हर समय हथियारबंद सुरक्षा सहयोगियों से घिरा रहता है। वह एक ऐसे डरावने और शातिर रूप में दिखता है, कि पहली नजर में कोई भी उसके पास जाने से घबरा जाएगा। वैसे तो वह फ़िलिस्तीनी आतंकवादी समूह की सैन्य शाखा अल-क़सम ब्रिगेड का चीफ कमांडर है, लेकिन इजराइल पर हमले की साजिश रचने का पूरा खेल उसी का था।

उसको अपने ही लोगों पर भरोसा नहीं है

ऐसा लगता है कि उसे अपने लोगों पर भी ज्यादा भरोसा नहीं रहता है, इसीलिये वह अपने साथ चलने वाले गुर्गों को हमेशा बदलता रहता है और कभी भी एक जगह नहीं रहता है। ताकि किसी भी तरह की साजिश का वह शिकार न बने।

गाजा के बेहद रहस्यमय भूमिगत सुरंगों में है ठिकाना

खुद को छिपाए रखने के लिए वह गाजा के बेहद रहस्यमय भूमिगत सुरंगों का एक नेटवर्क तैयार किया है। इसमें वह हर दिन अलग-अलग सुरक्षित ठिकानों पर रहा करता है। उसकी कोई तस्वीर या फोटो किसी के पास नहीं है। एक मात्र तस्वीर जो उपलब्ध है, वह सन 2000 के आसपास की है, तब वह एक युवा आतंकी लड़ाका था। फिलहाल वह इजराइल के लिए एक मोस्ट वांटेड आतंकी है।

फिलिस्तीनी युवकों की नजर में नायक है मोहम्मद दीफ़

कई फिलिस्तीनी युवक और हमास समर्थक उसे एक ऐसे नायक की तरह देखते हैं, जो दुनिया को बदल देने की हैसियत रखता है तथा इजराइल और दूसरे मुल्कों की कथित फिलिस्तीन विरोधी ताकतों का खात्मा कर सकने की कुव्वत रखता है। उसकी तुलना अल काएदा के ओसामा बिन लादेन से की जा रही है, जो आतंक की दुनिया में एक समय ऐसा खौफनाक दहशतगर्द चेहरा था, जो अपराजेय बन गया था।

‘दुश्मन’ का खात्मा करने का कर चुका है निश्चय

इजराइल पर हमले के ठीक पहले उसने एक रिकार्डेड ब्रॉडकास्टिंग मेसेज में कहा, “हमारे लोगों को लगातार मारने वालों, हमारी जमीन पर कब्जा करने वालों तथा अमेरिका और पश्चिम का समर्थन करने वालों को हम खत्म कर डालेंगे।” उसने यह भी कहा- “दुश्मन यानी इजराइल को समझ लेना चाहिए कि उसे अब जवाबदेह ठहराया जाएगा।” उसने फिलिस्तीनियों से अपील की कि वे अपनी भूमि पर इजराइल के कब्जाधारियों को निकाल फेंकें और सीमा की दीवारों को ध्वस्त कर दें।

दूसरे मुल्कों से भी की साथ आने की अपील

उसने पश्चिम के प्रतिरोध की बगैर चिंता किये दूसरे मुल्कों से भी अपने साथ आने और इसमें मददगार बनने की गुजारिश की। उसने कहा कि यह आजादी के जिहाद का आगाज है। दीफ़ ने कहा, “हमने यह फैसला किया है कि अब बहुत हो गया। हम सभी फिलिस्तीनियों से इजरायल का सामना करने का आग्रह करते हैं।” उसने कहा, कि यह हमला, ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म, गाजा की 16 साल की नाकाबंदी, इजरायली कब्जे और हाल की घटनाओं का नतीजा है।

पिछले 50 वर्षों में यह इजराइल पर सबसे बड़ा हमला

यह संदेश इजराइल तक पहुंचने के तुरंत बाद उसके आतंकियों ने इज़राइल पर एक के बाद एक हजारों रॉकेट लांच कर दिए। उसके लड़ाकों ने इजराइली सीमा में घुसपैठ की। कई लड़ाके पैराग्लाइडर के साथ सीमा पार किये। कहा जा रहा है कि पिछले 50 वर्षों में यह इजराइल पर सबसे बड़ा हमला है।

गाजा के शरणार्थी शिविर में हुआ था जन्म

उसका जन्म 1965 में गाजा के खान यूनिस शरणार्थी शिविर में हुआ था। 1980 की शुरुआत में जब हमास का गठन हुआ था, तब से मोहम्मद दीफ़ उसमें जुड़ा है यानी अपनी जवानी से ही आतंक की दुनिया में कदम रख दिया था।

प्रतिरोध उसूल और अन्याय के खिलाफ चुन न रहना फितरत

वह प्रतिरोध को अपना उसूल मानता है और कथित अन्याय के खिलाफ चुन न रहना उसकी फितरत है। कई लोग उसकी हरकतों को गलत नहीं मानते है। उनका कहना है- “आखिरकार वह कथित अन्याय का विरोध ही तो कर रहा है। इसमें गलत क्या है।” इसीलिये उसके समर्थक उसे एक दयालू और अपनी सभ्यता का संरक्षक मानते हैं।”

तब वह एक बार जेल भी गया था और हमास पोलित ब्यूरो का सदस्य गाज़ी हमद के साथ जेल की एक कोठरी साझा की थी। तब हमद ने कहा था, “वह बहुत दयालु था, हर समय देशभक्ति की बात करता था। हमें हंसाने के लिए छोटे-छोटे कार्टून बनाता था।”

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