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Advocates Day Seminar: डॉ. बीरबल झा बोले – न्याय व्यवस्था की असली रीढ़ है वकील की ईमानदारी

Advocates Day Seminar: पटना के ब्रिटिश लिंगुआ में आयोजित एडवोकेट्स डे सेमिनार में बोलते डॉ. बीरबल झा।

Advocates Day Seminar: ब्रिटिश लिंगुआ ने बुधवार को पटना के बो‍रिंग रोड क्रॉसिंग स्थित परिसर में “न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में वकीलों की भूमिका” विषय पर सेमिनार आयोजित किया। कार्यक्रम एडवोकेट्स डे के साथ-साथ देशरत्न और देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती को समर्पित रहा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात लेखक, सामाजिक सुधारक और ब्रिटिश लिंगुआ के प्रबंध निदेशक डॉ. बीरबल झा ने अपने संबोधन में वकालत पेशे की नैतिक जिम्मेदारी और लोकतांत्रिक समाज में उसकी केंद्रीय भूमिका पर जोर दिया। मिथिला के “यंगेस्ट लिविंग लीजेंड” कहलाने वाले डॉ. झा लंबे समय से “Language for Livelihood, Culture for Identity and Ethics for Society” जैसे सामाजिक अभियानों से जुड़े रहे हैं।

Advocates Day Seminar: समाज की असली ताकत न्याय के प्रति निष्ठा

डॉ. झा ने कहा कि किसी भी समाज की वास्तविक शक्ति उसकी अर्थव्यवस्था या राजनीति से नहीं, बल्कि न्याय और समानता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता से मापी जाती है। उन्होंने कहा, “अधिवक्ता अधिकारों के संरक्षक और एक न्यायप्रिय, मानवीय और लोकतांत्रिक समाज के निर्माता होते हैं।” उन्होंने वकीलों की भूमिका को अदालत की चारदीवारी से कहीं व्यापक बताते हुए कहा— “वकील सिर्फ अदालत की आवाज नहीं होते; वे न्याय के मशालची हैं, जिनका प्रभाव कानूनी दायरों से बहुत आगे तक जाता है।”

लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में भूमिका निभाएं अधिवक्ता

डॉ. झा ने कहा कि वकील भारत की संवैधानिक मूल भावना के मजबूत रक्षक हैं। “अधिकार इसलिए जीवित रहते हैं, लोकतंत्र इसलिए फलता-फूलता है और समाज इसलिए आगे बढ़ता है, क्योंकि अधिवक्ता सतर्क खड़े रहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “जो वकील सत्य के लिए लड़ता है, वह राष्ट्र की नैतिक रीढ़ को मजबूत करता है।” डॉ. झा ने विधि समुदाय से आह्वान किया कि वे अन्याय के सामने निर्भीक होकर खड़े हों और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।

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कानूनी रूप से जागरूक समाज ही आत्मविश्वासी होता है

पेशे में नैतिकता को सर्वोपरि बताते हुए डॉ. झा ने कहा – “ज्ञान से एक वकील सक्षम बन सकता है, लेकिन महान वही बनता है जिसकी ईमानदारी अडिग हो। न्याय की राह में वकील की ईमानदारी ही राष्ट्र की शक्ति है।”

उन्होंने नागरिकों में कानूनी साक्षरता बढ़ाने पर जोर दिया और कहा – “कानूनी रूप से जागरूक समाज ही आत्मविश्वासी समाज होता है। कानून और आम जीवन के बीच की दूरी को हमारे अधिवक्ता ही पाटते हैं।”

डॉ. राजेंद्र प्रसाद को नमन

सेमिनार में देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद को श्रद्धांजलि दी गई, जिनकी कानूनी निष्ठा और सार्वजनिक जीवन में आदर्श भूमिका को विशेष रूप से याद किया गया। डॉ. झा ने कहा, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्मरण करना केवल एक नेता को याद करना नहीं, बल्कि उन आदर्शों—न्याय, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी—को दोबारा पुष्ट करना है, जिन्हें उन्होंने जीवनभर जिया।”

कानूनी समुदाय की सराहना का संदेश

अपने संबोधन के अंत में डॉ. झा ने कहा, “एक वकील की सराहना करना दरअसल न्याय की सराहना करना है। अधिवक्ताओं का योगदान ही एक न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज की आधारशिला को मजबूत बनाता है।”

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