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जुल्म के विरुद्ध संघर्ष में महात्मा गांधी ने पत्रकारिता को बनाया साधन

अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में लिखा है कि अखबार के लिए विज्ञापन लेना पत्रकारिता को बेचने जैसा है। कहते हैं कि पत्रकारिता का व्यय पाठक संख्या बढ़ाकर निकालनी चाहिए, विज्ञापन लेकर नहीं। इसका उद्देश्य आर्थिक लाभ कमाना दूर-दूर तक नहीं था।

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प्रयागराज में गांधी, अनिल के संग्रहालय में हैं ‘मोहन से महात्मा तक’

अनिल के म्यूज़ियम में 125 देशों में गांधी पर जारी करीब 3750 डाक टिकट ही नहीं, बल्कि बापू पर दुनिया भर से अब तक जारी लगभग हर करंसी, सिक्के, पोस्टकार्ड, पोस्टल स्टेशनरी, ग्रीटिंग्स, सोविनियर और स्पेशल कवर्स भी मौजूद हैं।

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ऐसे थे शास्त्री जी, पैसे न होने पर उफनाई गंगा को तैरकर किया पार

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन के ऐसे अनेक वाकये हैं, जिससे हंसमुख स्वभाव वाले शास्त्रीजी की सादगी के अलावा विनम्रता, कर्मठता, सरलता, नियमबद्धता, दृढ़निश्चयता वगैरह स्पष्ट झलकती है।

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