कुछ लोग भक्त होते हैं तो कुछ लोग पूर्ण समर्पित भक्त होते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं, जिनकी भक्ति उनके लिए साधना ही बन जाती है। अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ऐसे ही एक भक्त यूपी के प्रयागराज में रहते हैं। वहां के रहने वाले अनिल रस्तोगी ने बापू का ऐसा अनूठा संग्रहालय (Museum) तैयार किया है, जिसे आप कहीं और नहीं देख सकते हैं।
दुनिया के 125 देशों ने अब तक बापू पर जितने भी डाक टिकट, करंसी और पोस्टकार्ड जारी किए हैं, वे सब इस संग्रहालय में मौजूद हैं। इनके अलावा दुनिया भर में बापू पर अब तक जारी लगभग हर एक ग्रीटिंग, सिक्के, सोविनियर, पोस्टल स्टेशनरी, फर्स्ट डे कवर, मिनिएचर शीट, टोकन्स, स्पेशल कवर्स और फोन कार्ड्स तक इनके संग्रहालय में प्रदर्शित है। ‘मोहन से महात्मा तक’ नाम के इस अनूठे संग्रहालय को बनाने में अनिल को करीब 50 साल से ज्यादा वक्त लग चुका है।
अनिल रस्तोगी प्रयागराज के जॉर्ज टाउन इलाके में रहते हैं। पहले वह बिजनेसमैन थे, लेकिन पिछले 2 साल से घर में ही रहते हैं। उनके दो बेटे हैं और वे दिल्ली में जॉब कर रहे हैं। अनिल रस्तोगी के मुताबिक 2 अक्टूबर 1969 को गांधी जयंती पर उन्होंने बापू के व्यक्तित्व के बारे में कई लोगों से सुना, जिससे वे इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने गांधीजी से जुड़ी हर चीज जमा करनी शुरू कर दी। तब वे सिर्फ 15 साल के थे।
1969 के बाद से ही अनिल रस्तोगी की जिज्ञासा इतनी बढ़ती गई कि जहां कहीं भी गांधीजी से जुड़ी तस्वीर, कॉइन्स, स्टाम्प या पोस्टकार्ड दिखते तो उसे खरीद लेते थे। प्रयागराज के अनिल रस्तोगी के म्यूजियम में बापू के जीवन के हर वह रंग देखने को मिलेंगे, जिन्हें दुनिया के 125 देशों ने करीब 3750 डाक टिकटों में उतारा है। इन डाक टिकटों में करीब 2600 भारत में जारी किए गए हैं, जबकि 1150 विदेशों में जारी किए गए।
अनिल के म्यूज़ियम ‘मोहन से महात्मा तक’ के अनूठे कलेक्शंस में सिर्फ डाक टिकट ही नहीं, बल्कि बापू पर अब तक दुनिया भर से जारी लगभग हर करंसी, सिक्के, पोस्टकार्ड, पोस्टल स्टेशनरी, ग्रीटिंग्स, सोविनियर और स्पेशल कवर्स भी मौजूद हैं।
इनके अलावा दुनिया भर से जारी मिनिएचर शीट्स, फर्स्ट डे कवर्स, टोकन्स, फोन कार्ड्स वगैरह भी इस म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं। बापू का ऐसा अनूठा कलेक्शन दुनिया में शायद ही किसी दूसरी जगह देखने को मिले।
म्यूजियम में मौजूद कई डाक टिकट, करंसी व पोस्टल स्टेशनरी तो ऐसी हैं, जो आसानी से दूसरी जगह देखने को नहीं मिलते। अनिल बताते हैं कि कई डाक टिकट और करंसी के लिए उन्हें काफी परेशान होना पड़ा।
अनिल के मुताबिक, नई पीढ़ी को बापू का संदेश और उनकी गांधीगिरी से रूबरू कराने के लिए ही उन्होंने यह म्यूजियम तैयार किया। म्यूजियम का कलेक्शन देखने के बाद पता चलता है कि दुनिया के उन देशों ने भी बापू पर डाक टिकट व सिक्के जारी किए, जहां उन्होंने कभी कदम तक नहीं रखा।
READ: जुल्म के विरुद्ध संघर्ष में महात्मा गांधी ने पत्रकारिता को बनाया साधन
ALSO READ: शास्त्री जी की पहचान – सादगी, विनम्रता ईमानदारी और राष्ट्रभक्ति
अनिल के इन अनूठे कलेक्शन को देखने के लिए रोजाना तमाम लोग पहुंचते हैं। इस म्यूजियम में आने के बाद लोगों को बापू के जीवन, उनके विचारों और संदेशों को करीब से समझने का मौका मिलता है। इस म्यूजियम को देखने के लिए कोई किराया नहीं लगता।
इस अनूठे कलेक्शन के लिए अनिल को सरकार कई बार सम्मानित कर चुकी है। अनिल बताते हैं कि वह कुंभ मेले में भी प्रदर्शनी लगा चुके हैं, जिसमें कुंभ मेला प्रशासन ने उनकी मदद की थी। इस म्यूजियम में कई तस्वीरों, लेटर्स और अखबारों की कटिंग्स के जरिए बापू के ‘‘मोहन से महात्मा और राष्ट्रपिता’’ बनने का सफर दिखाया गया है।
The Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) is a center aimed at conducting in-depth studies and research on socio-political, national-international, environmental issues. It provides readers with in-depth knowledge of burning issues and encourages them to think deeply about them. On this platform, we will also give opportunities to the budding, bright and talented students to research and explore new avenues.