✍️वत्सल श्रीवास्तव
हाल ही में भारत के तटीय इलाकों में तबाही मचाकर वहां के लोगों के लिए आर्थिक और सामाजिक संकट पैदा करने वाले चक्रवात ताउते (Tauktae) और यास (Yas) का नामकरण म्यांमार तथा ओमान ने किया था। इनके नामकरण के लिए एक सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जो WORLD METEOROLOGICAL ORGANISATION के तहत होता है। इसके अनुसार जिस क्षेत्र में कोई साइक्लोन उठता है, उस क्षेत्र के कुछ देशों को इस ऑर्गनाइजेशन में शामिल कर दिया जाता है। ये देश इनका नाम रखते हैं।
उत्तरी हिन्द महासागर (North Indian Ocean) में जब भी कोई साइक्लोन उठता है, तो उसका नाम भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान और थाइलैंड तय करते हैं, क्योंकि ये उस आर्गेनाईजेशन का हिस्सा है। अब तक इस क्षेत्र का हिस्सा केवल 8 देश थे। पांच और देश ईरान, सऊदी अरब, कतर, यमन और यूएई भी अब इसमें शामिल हो गए हैं। इस तरह अब ये कुल 13 देश हो गए हैं। इन 13 देशों ने कमेटी को 169 नाम सौंपे है। इनमें से कई नाम पिछले चक्रवातों और तूफानों के रखे गए थे। बाकी नाम भविष्य में आने वाले तूफानों के लिए हैं।
2004 में इन 8 देशों ने 64 तूफानों के नाम कमेटी को सौंपे थे। इससे भविष्य में आने वाले तूफानों और चक्रवातों के नाम इसी में से चुने जाएंगे। भारत ने अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लेहर इत्यादि नाम दिए थे। पाकिस्तान ने निलोफर और तितली जैसे नाम दिए थे। बांग्लादेश ने ओखी जैसे नाम दिए थे।
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इससे कुछ साल पहले तटवर्ती इलाकों में आने वाले तूफानों के नाम इसी में से रखे गए थे। जिन तूफानों का नाम एक बार रख दिया जाता है फिर उन तूफानों का नाम हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाता है।
इसके अलावा तूफानों के नाम में सम और विषम (ODD-EVEN) रूल भी अपनाते हैं अर्थात एक बार अगर तूफान के नाम स्त्रियों के नाम अनुसार होता है तो इसके बाद के तूफान का नाम पुरुष के नाम के अनुसार होता है।
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