“पानीदार यहां का घोड़ा आग यहां के पानी में, बुंदेलों की सुनो कहानी बुंदेलों की वाणी में”, बुंदेलखंड के 14 हजार गांवों में आज यह कविता फिर सार्थक हो रही है। इसे गाया जा रहा है। दुनिया जल पर निर्भर है और जल ही जीवन है। जल में अमृत है जल में बिजली है, जल है तो कल है- यह वाक्य हम सदियों से कहते-सुनते आ रहे हैं। पानी हमेशा से व्यापार का साधन रहा है। दुनिया की कई देशों की खोज पानी की यात्रा से हुई। पानी व्यापार की चीज नहीं, लेकिन पानी बचाने की जमीनी उपाय भी नहीं हुए, दुनिया में जल संकट है, लेकिन जब पानी ही नहीं रहेगा तो व्यापार कैसे होगा। किसान का, समाज का, प्रकृति का क्या होगा?
इस सवाल की गंभीरता को बुंदेलखंड के बांदा जिले के जखनी जल योद्धा उमा शंकर पांडेय ने पहले ही महसूस कर लिया था। कार्य शुरू किया, उनके नेतृत्व में कई अन्य स्वयंसेवकों ने कार्यकर्ताओं ने इस ओर काम करना शुरू किया तो उसकी गूंज सरकार तक सुनाई दी। पर पुरानी सरकारों को यह जल संरक्षण की विधि पसंद नहीं आई। जल योद्धा उमा शंकर पांडे ने कई बार सरकार को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका महत्व समझा और पहचाना। सिर्फ पहचाना ही नहीं, बल्कि इस विधि को पूरे देश में लागू करने के लिए अपील कर दी। इससे किसानों ने अपने श्रम, अपनी मेहनत औ छोटे संसाधन से इस मेड़बंदी यज्ञ में आहुति देना शुरू कर दिया। देखते-देखते कई लाख हेक्टेयर में मेड़बंदी हो गई।
समुदाय के आधार पर बगैर किसी सरकारी सहायता के किसानों के खेतों पर पानी भर गया। सूखा प्रभावित कई राज्यों के जिलों के हजारों गांव के किसानों के खेत में पानी बचाने और संरक्षण के लिए बुंदेलखंड क्षेत्र के जखनी गांव से शुरू मेड़बंदी जल आंदोलन पूरे देश में फैल रहा है। लेकिन इसको गति पीएम नरेंद्र मोदी ने दी। उनके मंत्रालय ने इस आंदोलन को महसूस किया। देशभर के प्रधानों को परंपरागत तरीके से जल बचाने की अपील प्रधानमंत्री मोदी ने की। इस मुहिम का इसका असर 2 साल बाद देश में देखने को मिल रहा है। पुरखों की इस जल संरक्षण विधि से भूजल स्तर ऊपर आ रहा है। खेतों में नमी है, फसल बोने का एरिया बढ़ा है, किसानों की पैदावार बढ़ी है, खासकर बुंदेलखंड में मेड़बंदी यज्ञ के रूप में आगे बढ़ रहा है।
पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान बुंदेलखंड के बांदा में चुनाव प्रचार के बीच जल संकट से निपटने के लिए जलशक्ति मंत्रालय बनाने की घोषणा की थी। चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया और इसकी घोषणा बुंदेलखंड के ही झांसी में की। जल शक्ति मंत्रालय बनने के 3 दिन के अंदर जल शक्ति सचिव यूपी सिंह जखनी आए, परंपरागत जल संरक्षण तकनीक को देखा, किसानों से संवाद किया, मेड़बंदी विधि को समझा, पुरखों की विधि के महत्व को महसूस किया। इसको देशभर में लागू करने का अभियान शुरू किया। जखनी मॉडल- खेत पर मेड़ मेड पर पेड़- से प्रभावित कई योजनाएं बनीं।
केंद्रीय भूजल बोर्ड नदी जोड़ो के अभियंता केन बेतवा परियोजना के अभियंताओं को देश के जल विशेषज्ञ अधिकारियों को जखनी भेजा। जखनी मेड़बंदी प्रयोग को गंभीरता से जांचा परखा गया। नीति आयोग ने भी इस विधि को उपयोगी माना। हमारे देश में समुदाय पर आधारित जल संरक्षण की प्रक्रिया सदियों से है। मोदी जी की अटल भूजल योजना भी जखनी जैसे मॉडलों पर बनी है। इस योजना में है 6000 हजार करोड़ में से 2000 करोड़ रुपए बुंदेलखंड में खर्च किए जाने का सरकार ने निर्णय लिया। बुंदेलखंड के 25 ब्लाकों में अटल भूजल योजना के अंतर्गत कार्य होगा। 25 दिसंबर को अटल जी के जन्मदिन पर इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन दिल्ली में की थी। इस अवसर पर जखनी के 10 किसान उपस्थित थे।
बुंदेलखंड के जखनी से निकले समुदाय के आधार पर जल संरक्षण के प्रयोग को राज समाज सरकार ने स्वीकार किया। जिस मेड़बंदी प्रयोग को पूरे देश में मान्यता मिली, ऐसी ही समुदाय की योजनाओं की सफलता से प्रभावित होकर सरकार ने अटल भूजल योजना हर घर नल योजना बुंदेलखंड में ही शुरू की है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो वह दिन दूर नहीं है जब बुंदेलखंड पानीदार हो जाएगा। तब हम बुंदेलखंड के एमपी और यूपी के 14 हजार गांवों में से फिर से वही बुंदेली कविता बुंदेले दोहराएंगे। पानीदार यहां का घोड़ा आग यहां के पानी में बुंदेलों की सुनो कहानी बुंदेलों की वाणी में।
Sanjay Dubey is Graduated from the University of Allahabad and Post Graduated from SHUATS in Mass Communication. He has served long in Print as well as Digital Media. He is a Researcher, Academician, and very passionate about Content and Features Writing on National, International, and Social Issues. Currently, he is working as a Digital Journalist in Jansatta.com (The Indian Express Group) at Noida in India. Sanjay is the Director of the Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) and also a Convenor for the Apni Lekhan Mandali.