Sanjay Dubey is Graduated from the University of Allahabad and Post Graduated from SHUATS in Mass Communication. He has served long in Print as well as Digital Media. He is a Researcher, Academician, and very passionate about Content and Features Writing on National, International, and Social Issues. Currently, he is working as a Digital Journalist in Jansatta.com (The Indian Express Group) at Noida in India. Sanjay is the Director of the Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) and also a Convenor for the Apni Lekhan Mandali.
रविवार 11 जुलाई को आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया तो सोमवार 12 जुलाई को भाजपा ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर हल्ला बोला दिया। इस खेल में जनता बनी दर्शक
अंग्रेजी न जानना कोई अपराध नहीं है। अंग्रेजी सभ्यता में न तो हम पले-बढ़े हैं और न ही यह हमारी भाषा, लेकिन जो लोग हिंदी नहीं जानते हैं, वे जरूर अपराध कर रहे हैं। हिंदी समाज में जन्म लेकर हिंदी से इतनी नफरत मानसिक बीमारी जैसा है।
दिल्ली का आरोप है कि हरियाणा उसके हिस्से का पानी रोक ले रहा है। कावेरी जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में वर्षों से विवाद चल रहा है। कहीं सूखे से लोग तबाह हैं तो कहीं बाढ़ ने सबको लील लिया।
देश के जिन कानूनों पर अमल करने के लिए सरकार और शीर्ष अदालत निर्देशित करती हैं, ट्विटर की उन्हें न मानने की हिमाकत करना घोर आपत्तिजनक और भारत की संप्रभुता के विरुद्ध है। इस पर सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए।
ऐतिहासिक तियानमेन स्क्वॉयर से दुनिया में आंख दिखाने वाले का सिर कुचल देने और खून बहाने की राष्ट्रपति शी जिनपिंग की धमकी से पहले भारत उसका गुरूर तोड़ देने का अवसर गंवा बैठा।
उन्होंने भीमा कोरेगांव हिंसा के दौरान जो भी कथित तौर पर अपराध किया हो, उसका तो कानून अपने हिसाब से निपटारा करता ही, पर जैसा कि कहा गया है कि वक्त व अवसर किसी की प्रतीक्षा नहीं करते हैं, वही सच हुआ।
सचमुच अगर यह समन्वय व्यवहार में आ जाए तो समाज विभेद और विवाद का एक बड़ा मुद्दा हमेशा के लिए हल हो जाए, लेकिन ऐसा होगा, इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं दिख रही है।
भाषाओं के लुप्त होने के साथ ही हमारी विविधता भी खत्म होगी। हमें ध्यान रखना होगा कि हमारी विविधता ही हमारी ऊर्जा है। इकहरापन हमें नीरस बनाता है, जिससे हमें जल्दी ऊब जाते हैं।
विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को हिंसा और अराजकता की आशंका, कहा अफगानिस्तान से लगी देश की सीमा को सरकार बंद कर सकती है। बोले-अफगानी शरणार्थियों को हम जगह नहीं दे सकते हैं।