देश के केंद्रीय शासन में टीम मोदी के लिए अगले तीन साल बहुत महत्वपूर्ण है। 2022 में यूपी, पंजाब, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव है तो 2024 में लोकसभा का चुनाव है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की सरकार आई थी, तब लोगों की आकांक्षाएं और उम्मीदें चरम पर थीं। तबसे गंगा में बहुत पानी बह चुका है और देश के राजनीतिक हालात में भी काफी परिवर्तन आ चुका है। इन सब को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने अपनी टीम में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। कई वरिष्ठ मंत्रियों को फिलहाल पद से हटा दिया है तो कई ऐसे लोगों को भी मंत्री पद पर बैठा दिया है, जिनकी उम्मीदें नहीं थीं। इस पूरी कवायद का लक्ष्य सिर्फ एक है और वह है 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव और 2024 का लोकसभा आम चुनाव।
बदलाव की इस कसरत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सूचना प्रौद्योगिकी के साथ कानून मंत्री का कार्यभार संभाल रहे रविशंकर प्रसाद और सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सहित कुल 12 मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया है। दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने में मदद करने वाले ग्वालियर के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवसेना और कांग्रेस से होते हुए भाजपा में आए नारायण राणे और असम में हिमंत बिस्व सरमा के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़ने वाले सर्बानंद सोनोवाल समेत 36 नए चेहरे टीम में शामिल किए गए हैं।
सिर्फ यही नहीं हुआ है, कई मंत्रियों के विभाग बदल दिए गए हैं तो कई राज्यमंत्री के ओहदे में भी इजाफा कर उनको कैबिनेट रैंक का दे दिया गया।। सहकारिता नाम से एक नया विभाग बनाकर सरकार में पीएम के बाद सर्वाधिक शक्तिशाली गृहमंत्री अमित शाह को उसका प्रभार सौंपा गया है। इन सबके बावजूद बिखरा हुआ विपक्ष 2024 में मोदी सरकार को हटाने के लिए जीतोड़ तैयारी में लगा है, परन्तु दिक्कत यह है कि अभी यह तय नहीं हो पा रहा है कि उसका नेतृत्व कौन करे। सबसे पुराना दल कांग्रेस संगठन और शक्ति दोनों मामलों में सबसे कमजोर की स्थिति में है, तो दूसरी तरफ कई क्षेत्रीय दल हैं, लेकिन उनकी पहचान और स्वरूप क्षेत्रीय ही है, वे अखिल भारतीय दल के रूप में खुद को नहीं बदल पा रहे हैं।
बंगाल में अभी हाल ही में भारी बहुमत से सरकार बनाने में सफल हुईं टीएमसी की ममता बनर्जी बंगाल तक ही सीमित हैं तो दक्षिण में तमिलनाडु में एआईएडीएमके को हटाकर सत्ता हथियाने में सफल हुई डीएमके पार्टी भी तमिलनाडु से बाहर नहीं निकल पा रही है। यूपी में सपा और बसपा बीच-बीच में शंखनाद करती रहती हैं, लेकिन बसपा काफी समय से सुप्तावस्था में है तो सपा का भी योगी सरकार के विरोध में कोई खास प्रतिरोध नहीं दिखता है। अलग-अलग मुद्दों पर वह आंदोलन करती भी है तो वह केवल यूपी में योगी विरोध तक ही सीमित रहता है।
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बिहार में राष्ट्रीय जनता दल भी बिहार के अंदर ही ऊंची आवाज में चिंघाड़ती है तो सत्ताधारी जनता दल (यू) और एलजेपी फिलहाल एनडीए में ही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को भी अपनी अखिल भारतीय छवि बनाने के लिए अभी अखाड़े में और लट्ठ चलाने की जरूरत है। महाराष्ट्र में लंबे समय तक भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना अभी कांग्रेस और एनसीपी के साथ महा विकास आघाडी की सरकार भले चला रही है, लेकिन नेताओं के आपसी बयानों से यह साफ दिख रहा है कि देर-सबेर शिवसेना फिर अपने पुराने मांद एनडीए में ही आएगी। इधर पंजाब में तीन कृषि कानूनों को लेकर एनडीए से अलग हुए अकाली दल भी कितना अलग कर पाएगी, यह तो समय बताएगा। ऐसे में नई ऊर्जा और ताकत तथा पूरे जोशो-खरोश के साथ टीम मोदी अपनी रणक्षेत्र में उतरने के लिए में लंगर डाल दी है।
मोदी सरकार इन सबको ध्यान में रखकर अपनी टीम की नई डेंटिंग-पेंटिंग की है। इस बार सरकार ने जाति समीकरण को भी धार देकर मजबूत किया गया है। देश के सबसे बड़े सूबे के अगले साल के शुरू में होने वाले चुनाव में जातीय समीकरण बहुत मायने रखता है। फिलहाल इस बदलाव में 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इनमें 15 कैबिनेट और 28 को राज्यमंत्री बनाया गया है।
Sanjay Dubey is Graduated from the University of Allahabad and Post Graduated from SHUATS in Mass Communication. He has served long in Print as well as Digital Media. He is a Researcher, Academician, and very passionate about Content and Features Writing on National, International, and Social Issues. Currently, he is working as a Digital Journalist in Jansatta.com (The Indian Express Group) at Noida in India. Sanjay is the Director of the Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) and also a Convenor for the Apni Lekhan Mandali.