अतिथि दलाई लामा और आग बबूला चीन पर वार की चूक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को मंगलवार (6 जून 2021) को फोन कर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी और उनकी दीर्घायु की कामना की। ऑल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री के इस कदम का स्वागत किया, साथ ही कहा कि यदि प्रधानमंत्री दलाई लामा से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करते, तो चीन को एक कड़ा संदेश जाता। इसके कुछ दिन पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर ऐतिहासिक तियानमेन स्क्वॉयर पर आयोजित समारोह में राष्ट्र को संबोधित करते हुए दुनिया को खुलेआम धमकी दी। उन्होंने कहा कि चीन को आंख दिखाने वालों का सिर कुचल दिया जाएगा, खून बहा दिया जाएगा। दुनिया का दबंग बनने की होड़ में लगा चीन का यह बयान स्पष्ट तौर पर भारत और अमेरिका के लिए था।

सबको पता है कि तिब्बत एक स्वतंत्र और सार्वभौम राष्ट्र रहा है, जिस पर चीन ने जबरन कब्जा कर लिया है। 1959 में चीन के हमले के बाद तिब्बत के सर्वोच्च नेता और आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को अपने लाखों अनुयायियों के साथ भारत में शरण लेनी पड़ी थी। तब से वह स्वनिर्वासन के रूप में भारत के धर्मशाला शहर में रहकर अपनी निर्वासित सरकार चला रहे हैं। चीन तिब्बत पर तो कब्जा किया ही है, वह देश को आजादी मिलने के बाद से ही भारत पर भी आए दिन हमले करने की कोशिश करता रहता है। भारत बिना खून बहाए शांतिपूर्ण ढंग से एक पड़ोसी की तरह उससे संबंध रखने की मंशा रखता है, लेकिन चीन हिंसा का ही पक्षधर रहा है। ऐसे में उसको जब तक कड़ा जवाब नहीं मिलेगा, वह चुप नहीं बैठेगा।

पिछले 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर हमारे राष्ट्रीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आना था, लेकिन कोविड-19 और दुनिया भर में लॉकडाउन के चलते उनका दौरा रद्द करना पड़ा था। दलाई लामा तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ तिब्बत के सर्वोच्च नेता हैं। पूरी दुनिया में उनकाे सम्मान और आदर के साथ देखा जाता है। ऐसे में भारत अगर गणतंत्र दिवस पर उनको मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित करता तो इससे हमारे राष्ट्रीय त्योहार की शोभा तो बढ़ती ही, साथ ही अतिथि न होने की कमी भी नहीं रहती। दलाई लामा भारत में ही रहते हैं, लिहाजा वह आसानी से आ भी जाते।

लेकिन जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह यह कि इससे चीन के पास कठोरतम संदेश जाता तथा वह भारत को जिस तरह आतंकी वाले लहजे में आंख दिखाने पर सिर कुचल देने और खून बहा देने की चेतावनी के साथ धमका रहा है, उसकी वह जुर्रत ही नहीं कर पाता। भारत शांतिप्रिय देश है, लेकिन हमारी यह शांतिप्रियता कुछ पड़ोसियों को हमें कमजोर समझने का अहसास कराता है।

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ऐसे में दलाई लामा को मुख्य अतिथि बना लेने भर से चीन इतना आग बबूला हो जाता कि शायद वह हम पर सैन्य हमला भी कर देता। यह वक्त भारत के लिहाज से अच्छा ही होता। कोरोना वायरस महामारी के बारे में दुनिया भर में एक सामान्य मान्यता यह है कि यह चीन से अन्य देशों में गया। इसको लेकर अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने तो चीन को चेतावनी भी दी थी। अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो चीन को सबक सिखाने तक को आगाह किया था।

इस बीच अमेरिका और चीन के व्यापार संबंधों में भी शीत युद्ध जैसे हालात दिखे। दोनों के व्यापारिक रिश्ते भी कमजोर हुए हैं। लेकिन दूसरी तरफ अमेरिका और भारत के ताल्लुकात काफी अच्छे और सहयोगात्मक था। अगर चीन भारत पर हमला करता भी तो अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देश उसको सबक सिखाने के साथ ही उसके कब्जे वाले पड़ोसी देशों के नागरिकों को भी जल्द चीन से आजाद कराने का भरोसा दिला पाते। इससे भारत को उससे निपटने में आसानी रहती, लेकिन भारत ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया।

अपने 86वें जन्मदिन पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि उन्होंने भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सद्भाव का पूरा लाभ लिया और वह प्राचीन भारतीय ज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि वह मानवता की सेवा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।

भारतीय नेताओं ने पिछले साल दलाई लामा के जन्मदिन पर कोई संदेश नहीं दिया था। उस समय भारत और चीन के बीच संबंध पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के दौरान गलवान घाटी में 15 जून को घातक झड़प के बाद बहुत तनावपूर्ण हो गए थे। तनाव बढ़ने के बाद, सामरिक मामलों से जुड़े एक वर्ग का मानना था कि भारत को चीन पर कूटनीतिक रूप से दबाव बनाने के लिए “तिब्बत कार्ड” खेलना चाहिए था।

cmarg author

Sanjay Dubey is Graduated from the University of Allahabad and Post Graduated from SHUATS in Mass Communication. He has served long in Print as well as Digital Media. He is a Researcher, Academician, and very passionate about Content and Features Writing on National, International, and Social Issues. Currently, he is working as a Digital Journalist in Jansatta.com (The Indian Express Group) at Noida in India. Sanjay is the Director of the Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) and also a Convenor for the Apni Lekhan Mandali.

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