बीजेपी नेता ने कहा कि हमें वही बनना चाहिए, जो हम हैं, यानी हमें मन से और तन से भारतीय होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से हम अमेरिकन और यूरोपियन बन रहे हैं।
नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत पेश पहली मासिक रिपोर्ट में बताया कि 15 मई से 15 जून 2021 तक उसे अवांछित एकाउंट्स से मेसेज भेजने की 345 शिकायतें मिलीं।
इस प्रस्ताव को मानने वाले को कई तरह के लाभ दिए जाएंगे। मसलन सरकारी कर्मचारियों को पूरी सेवा में मातृत्व या पितृत्व अवकाश के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि मिलेगी।
उन्होंने भीमा कोरेगांव हिंसा के दौरान जो भी कथित तौर पर अपराध किया हो, उसका तो कानून अपने हिसाब से निपटारा करता ही, पर जैसा कि कहा गया है कि वक्त व अवसर किसी की प्रतीक्षा नहीं करते हैं, वही सच हुआ।
सचमुच अगर यह समन्वय व्यवहार में आ जाए तो समाज विभेद और विवाद का एक बड़ा मुद्दा हमेशा के लिए हल हो जाए, लेकिन ऐसा होगा, इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं दिख रही है।
हमारे जागरूक नेताओं को कोरोना विषाणु के टीके में भी भविष्य का आधार नजर आ रहा है, तो वहीं समर्थनकारी शक्तियों के लिए किसान आंदोलन उनके पक्ष में एक नया अवसर जैसा है।
भारत की मातृभाषा हिंदी रही है, लेकिन लंबे समय तक अंग्रेजी दासता में रहने की वजह से सरकार ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी काफी समय तक सरकारी कामकाज की भाषा अंग्रेजी जारी रखी, जो अब भी कायम है।
भारत में प्राचीन काल से ही जड़ी बूटियों और प्राकृतिक औषधियों से लोगों का इलाज होते आया है। बड़े से बड़ा शासक केवल अपने बीमारी का इलाज करवाने भारत आता था।
इससे तो अच्छा था कि देश में कोई तानाशाह आ जाए। ऐसे लोकतंत्र से दुनिया आजिज आ गई है। राजनेता खुद को जनसेवक बताते हैं, लेकिन वे रहते हैं आसमान पर और जनता, जो उनकी मालिक है, वह सड़क पर रहती है।
इतिहास खुद को दोहराता है। शायद कोरोना का उद्भव इसीलिए हुआ कि हम अब फिर से पुराने और जंगली अरण्य काल में पहुंच जाएं। जहां न हथियारों का भय रहेगा और न ही पर्यावरण प्रदूषण का खतरा ही होगा।