नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा। (File -Photo- Reuters)
भारत का अपने पड़ोसियों से संबंध पाकिस्तान और चीन को छोड़कर करीब-करीब अच्छा ही रहा है। बीच-बीच में थोड़ा बहुत आपसी मतभेद हुए भी हैं तो वह भी आपसी बातचीत और उच्चस्तरीय नेताओं के दौरे से दूर भी हो गए हैं। लेकिन इधर कुछ समय से भारत का बिल्कुल करीबी देश नेपाल के साथ रिश्तों में थोड़ी कड़ुवाहट आई है। कभी सीमा विवाद को लेकर तो कभी नेपाल के चीन के दबाव की वजह से ऐसा हुआ है। हालांकि दोनों देश की जनता एक-दूसरे से अच्छे रिश्ते को ही अधिकतर प्रमुखता दी है।
विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में विश्वास की इधर थोड़ी कमी देखी गई है। यह कमी पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के कार्यकाल में ज्यादा दिखी है। उसके बाद प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के सत्ता में आने से संबंधों में फिर सुधार की पहल शुरू हो गई है। इसी कड़ी में 22 अगस्त को भाजपा नेता और विदेश मामलों के प्रमुख विजय चौथाईवाले काठमांडू पहुंचे और प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली से मुलाकात की।
चौथाईवाले की यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों में आई विश्वास की कमी को दूर करने में मदद करेगी। उनके सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के साथ ही विपक्ष के नेताओं से मुलाकात अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि नेपाल की शासन व्यवस्था में काफी अस्थिरता देखी जाती है। वहां जल्दी-जल्दी कई प्रधानमंत्री बनते और सत्ता से हटते रहे हैं।
विजय चौथाईवाले नेपाली कांग्रेस के सह महामंत्री और प्रधानमंत्री देउबा के करीबी सलाहकार प्रकाश शरण महत के निमंत्रण पर नेपाल पहुंचे हैं। खुद चौथाईवाले ने प्रधानमंत्री देउबा के साथ मुलाकात की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट करके बताया कि उनकी मुलाकात के दौरान दोनों तरफ से पार्टी स्तर पर बातचीत को मजबूत करने के लिए एक समझौता भी हुआ है।
उम्मीद की जा रही है दोनों देशों में करीबी संबंधों में और सुधार की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा, हालांकि कुछ दिन पहले धारचूला में महाकाली नदी को पार करने के दौरान रस्सी के कटने से एक नेपाली नागरिक की मौत पर लोगों में भारत के प्रति काफी गुस्सा भी है।
आरोप है कि जब तीन लोग रस्सी के सहारे महाकाली नदी को पार कर रहे थे, तब भारतीय सुरक्षा बल ने उस रस्सी को काट दिया। इसकी वजह से एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई। नेपाल सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है, लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। नेपाली मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत से रिश्ते और न बिगड़ जाए, इसलिए रिपोर्ट देने में देरी की जा रही है।
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