वत्सल श्रीवास्तव
दुनिया में पेट्रोल निर्यात करने वाले देशों के समूह को OPEC कहते हैं। ओपेक यानी पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन में कुल 14 देश शामिल हैं। जनवरी 2019 में’ कतर ‘ इन देशों से बाहर हो गया था। ओपेक की स्थापना 1960 में बगदाद सम्मेलन में की गई थी। शुरुआत में इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनेवा में था, लेकिन 1965 में ऑस्ट्रिया के वियना में कर दिया गया था। दुनिया में तेल का निर्यात ज्यादातर ओपेक देशों से ही होता है । इसमें सबसे ऊपर सऊदी अरब, फिर इराक और फिर UAE है। तेल निर्यात करने वाले दूसरे देशों को गैर ओपेक देश कहा जाता है।
भारत 82 परसेंट तेल आयात करता है, जिसमें से 28 परसेंट क्रूड ऑयल होता है। क्रूड आयल को आम भाषा में कच्चा तेल कहते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम पेट्रोलियम और कच्चे तेल को जिसमें मापते हैं उसे बैरल कहते हैं। 1 बैरल में 159 लीटर होता है। डब्ल्यूटीआइ यानी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट उत्तर अमेरिका में उत्पादित क्रूड ऑयल का ग्रेड है और यह ब्रेंट (एक बेंचमार्क ) के साथ दुनियाभर में कच्चे तेल के दो प्रमुख बेंचमार्क के तौर पर स्थापित है। ब्रेंट क्रूड अफ्रीका, यूरोप और पश्चिम एशियाई देशों में उत्पादित कच्चे तेल की कीमतों के लिए बेंचमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया की दो-तिहाई कच्चे तेल की कीमत ब्रेंट क्रूड बेंचमार्क के तहत तय होती है। भारत भी ब्रेंट बेंचमार्क का इस्तेमाल करता है। इसके अलावा दुबई और ओमान बेंचमार्क भी चलता है। अरब कन्ट्रीज से निकलने वाला तेल इसी बेंचमार्क को अपनाकर बेचते हैं।
ब्रेंट क्रूड और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट के बीच का मुख्य अंतर यह है कि ब्रेंट क्रूड उत्तरी सागर के तेल क्षेत्रों से निकलता है, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट अमेरिकी तेल क्षेत्रों से प्राप्त होता है। ब्रेंट क्रूड समुद्र के पास उत्पादन किया जाता है, इसलिए परिवहन लागत काफी कम है। इसके विपरीत, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट का निर्माण भूमिगत क्षेत्रों में किया जाता है, जिसके कारण परिवहन लागत अधिक होती है।
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तेल उत्पादक देश यानी की ओपेक देशों के पास सबसे बड़ा हथियार तेल उत्पादन में कटौती होता है। जब इन देशों को लगता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम गिर रहे हैं तो यह तेल के निर्यात में कमी कर देते हैं, जिससे तेल की मांग बढ़ जाती है और इसके दाम फिर से बढ़ जाते हैं।
जब कहीं युद्ध होता है या कोई महामारी पनपती है तो ओपेक देशों का घाटा होना शुरू हो जाता है, क्योंकि किसी भी देश के हालात और स्थिति इतने अच्छी नहीं होती है कि वह इन देशों से तेल आयात कर सके। इस दौरान वे अपने एकमात्र प्रमुख व्यापार को बंद नहीं कर सकते हैं। क्योंकि एक बार पूर्ण रूप से व्यापार बंद कर देने पर उसे दोबारा शुरू करने में बहुत मुश्किल होती है। तब ये अपने तेल उत्पादन में कटौती कर देते हैं, जिससे इनका घाटा होना शुरू हो जाता है। फिर भी इस परिस्थिति में अगर तेल ज्यादा उत्पादन हो जाता है तो यह अन्य देशों को खुद ही परिवहन खर्च देकर तेल ले जाने के लिए कहते हैं। क्योंकि इनके पास इतना तेल और पेट्रोल स्टोर करने की क्षमता नहीं रहती है।

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