जी डी बिन्नाणी
बीकानेर
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हमें हमारे राजनीतिक/आर्थिक/ स्टॉक एक्सचेंज विशेषज्ञों ने हमेशा यही समझाया कि शेयरों में निवेश न केवल अच्छा रिटर्न देगा बल्कि राष्ट्र निर्माण में मदद करेगा। उनकी सलाह को ध्यान में रख हम पिछले 50 /60 सालों से शेयरों में निवेश कर रहे हैं, यानि समय समय पर अपनी अपनी कमाई के अनुसार टैक्स चुकाने के बाद बचत शेयरों में लगाई और कभी भी जमीन/सोना/ बैंक सावधि जमा की तरफ ध्यान ही नहीं दिया।
हम भविष्य को ध्यान में रखते हुए, साथ ही साथ सुरक्षा उद्देश्य के मद्देनजर अपने जीवनसाथी, बेटे, बेटी (जैसा भी मामला हो) के साथ संयुक्त नामों में शेयरों को रखा। हम सभी का यह स्पष्ट मानना है कि भौतिक रूप से शेयरों को हटा देना एक उचित कदम है लेकिन हम डिमैट करवाने में कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं जैसे –
1) हम छोटे निवेशक हैं और हर समय स्थान परिवर्तन के कारण हमें कम्पनियों के बारे में सही जानकारी का हमेशा अभाव रहा है।
क] जिनकी नौकरी ट्रान्सफर होती रहती है उनके शेयर कहीं बच्चों के पास पड़े हैं तो कहीं गांव वाले घर में पड़े हैं इन सबके चलते डाक अस्त व्यस्त होती है जिसके चलते सही जानकारी मिल नहीं पाती|
ख] उसके अलावा काफी कम्पनियां नाम बदल लिया तो कुछ दुसरे में मिल गयीं।
ग] इसके अलावा शेयर मूल्य के मूल्य में बदलाव भी तकलीफ दे रहा है।
घ] कम्पनियाँ के पते भी बदल गए या रजिस्ट्रार बदल गए।
च] बहुत सी कम्पनियाँ बिक भी गयीं तो कुछ प्राइवेट में परिवर्तित हो गयीं।
छ] बेटे / बेटी साथ में नहीं रहते यानि सब अलग अलग हैं।
2) अनेक कम्पनियों ने अब जाकर यानि कुछ समय पहले ही ISIN No.प्राप्त किये हैं और डीमेट प्रोसेस शुरू किया है।
3) अनेक कम्पनी एक ही डिपॉजिटोरी से सम्बन्धित है, यानि यदि डीमेट अकाउंट उसी से सम्बन्धित डिपॉजिटोरी पारटीसीपेंट के पास है तब तो ठीक अन्यथा डीमेट कैसे सम्भव है।
ऊपर उल्लेखित कारणों के चलते शेयर बाजार में निवेश करने वाले लाखों निवेशकों के पास अभी भी फिजिकल फॉर्म में ही कंपनियों के शेयर पड़े हैं।
समाचार पत्रों (समय समय पर जो पढ़ने को मिला) के अनुसार इस समय देश में करीब 5.30 लाख करोड़ रुपये के शेयर फिजिकल फॉर्म में हैं| इसलिये सरकार को पहले बुनियादी समस्याओं को हल करना चाहिये, अन्यथा कड़ी मेहनत से किया गया निवेश शून्य में परिवर्तित हो जायेगा, जिसके चलते ईमानदार छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशक इसको अपने प्रति विश्वासघात के रूप में लेंगे।
सरकार/ सेबी/ स्टॉक एक्सचेंज उपरोक्त उल्लेखित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर कर सकते हैं यदि वे सभी शेयरों को अनिवार्य रूप से डिमैट में परिवर्तित का उत्तरदायित्व कम्पनियों पर डाल दें और निवेशकों को भी भौतिक शेयरों को डीमेट में परिवर्तन हेतु नियमों में कुछ रियायत दें, क्योंकि वरिष्ठों के पास सभी नियमोंं का पालन करने के लिए इतनी ऊर्जा नहीं है और हर कदम पर खर्चों के अलावा बार-बार यात्रा की आवश्यकता होती है (कृपया ध्यान दें कि जो लोग प्राइवेट फर्मों से सेवानिवृत्त हुए हैं उनको पेंशन नहीं है इसलिए उनके पास आय का बहुत कम स्रोत है।)
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समस्याओं के निदान हेतु कुछ सुझाव —
A] पहले नाम यानी जिसका नाम प्रथम हो उसे संयुक्त नामों में रखे गए भौतिक शेयरों को अपने नाम में डीमैट की अनुमति दी जाय भले ही उसके लिये किसी भी प्रकार का फॉर्म भरवा लिया जाय या 10/- का स्टाम्प पेपर पर ऐफिडेविट ले लें।
B] सेबी (SEBI) के वेब में सभी कम्पनियों का नाम होना चाहिए, यानि जिस नाम से सबसे पहले कम्पनी ने रजिस्ट्री करवायी उसी से शुरू हो। फिर उसमेंं हर प्रकार के बदलाब का पूरा पूरा उल्लेख हो ताकि निवेशक कों बिना ज्यादा दिक्कत के जिस तरह भी ढूंढे उसे सही जानकारी मिल जाय।
C] जो शेयर खो गये हैं उसके लिये प्रक्रिया में ढील दी जाय यानी…
ऐफिडेविट केवल 10/- का स्टाम्प पेपर पर मांगा जाय यानि बाकि सारी प्रक्रिया सादे कागज पर मान्य कर दी जाय। सभी का यह मानना है कि 10/- के स्टाम्प पेपर पर वाला ऐफिडेविट की मान्यता / बाध्यता उतनी ही रहेगी जितनी की 500/- वाले स्टाम्प पेपर पर किये गये ऐफिडेविट की।
ब) प्रथम सूचना रिपोर्ट की आवश्यकता हटा दी जाय यानी संबंधित थाने में रजिस्ट्री से सूचना भेजी उसकी स्वहस्ताक्षरित कापी के साथ रजिस्ट्री की रसीद ले लें।
स) विज्ञापन करने का दायित्व व खर्चा कंपनियों पर ही होना चाहिये यानि कंपनियां चाहें तो नज़रअंदाज़ भी कर सकें और इस तरह के शेयर भौतिक रूप में जारी ही न किये जाएं यानि डीमेट खाते में ही दिये जाएं।
वरिष्ठों के हस्ताक्षर वाली समस्या का भी निदान अति आवश्यक है इसमें भी दिशा निर्देश स्पष्ट किये जाएं क्योंकि लम्बा समय बाद ढलती उम्र में हस्ताक्षर में फर्क आयेगा ही लेकिन हर हालात में शैली, ढंग,प्रवाह और भाषा तो मिलेगी ही।
उपरोक्त तथ्यों से जाहिर है 31 मार्च 2019 तारीख़ बढ़ना ज़रूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो बहुत लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
हम आशा करते हैं कि सेबी उपरोक्त तथ्यों पर सकारात्मक विचार कर तुरन्त प्रभाव से ऐसी कार्ययोजना लागू करेगी जिससे सम्पूर्ण रूप से भौतिक शेयर बाजार से हट जाएंगे।
सभी सेबी अधिकारियों को यह समझना चाहिये कि हम डीमेट कराने की चाहत रखते हुए भी लाचार हैं और समस्याओं का उचित समाधान ही सम्पूर्ण लक्ष्य प्राप्त करवा देगा और इसी उद्देश्य के लिये मैंने ऐसा तरीका सुझाया है जिससे कम समय में ही लक्ष्य प्राप्त कर पायेंगे क्योंकि जो भी भौतिक शेयर कम्पनी के पास आयेगा उसे लौटाना तो है ही नहीं बल्कि डीमेट क्रेडिट ही देना है।
उपरोक्त के मद्देनजर अगर हम एकजुट होकर प्रयास करते हैं तो हम एक चमत्कारिक सफलता की उम्मीद कर सकते हैं।

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