मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Photos sourc-BBC)
देश में लोकतंत्र है, लेकिन राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के बीच जो असहज संबंध है, वह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। अक्सर ऐसी खबरें आती हैं कि राजनेताओं के दबाव में अफसर भ्रष्ट तरीके से शोषणकारी रवैये के साथ लोगों को परेशान कर रहे हैं। कई बार ऐसा भी हुआ कि कोई अफसर राजनेताओं की बात को नहीं सुन रहा है तो राजनेता इसे अपना अपमान समझ बैठते हैं और अफसर पर कार्रवाई के लिए ऊपर दबाव बनाते हैं।
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख उनसे मुंबई में रेस्तरां और बार मालिकों से पैसे वसूलने के लिए जबरन दबाव बनाते हैं। उनके इस आरोप से पहले ही उन्हें पद से हटा दिया गया था। इसकी उच्च स्तरीय जांच चल रही थी। मामला गंभीर है और एक राज्य के गृहमंत्री के खिलाफ एक वरिष्ठतम पुलिस अधिकारी ने शिकायत की थी। बहरहाल अब तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख और पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह दोनों लोग जांच के घेरे में हैं।
मामले में कौन सही है और कौन गलत है, यह इस पर निर्भर करता है कि जांच कितनी ईमानदारी और बिना राजनीतिक दबाव के हो रही है। इस बीच महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कहा है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह गायब हैं। उनके देश छोड़ने की आशंका जताई जा रही है। सरकार ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया है। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि वे गायब नहीं है, बल्कि उन्हें गायब कर दिया गया है।
यह बात पाटिल ने गुरुवार देर रात एक समारोह से इतर पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा, “ऐसी सूचना हैं कि सिंह ने देश छोड़ दिया है। लेकिन अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं है।” राज्य के गृह मंत्री ने कहा, “सरकारी अधिकारी होने के नाते विदेश यात्रा पर प्रतिबंध है। आप सरकार की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकते। फिर भी वह चले गए, तो यह अच्छी बात नहीं है।” पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार सिंह को खोजने के लिए केंद्र के संपर्क में है। सिंह ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए थे।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रहे हैं। इस साल मार्च में मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने और होमगार्ड में स्थानांतरित होने के कुछ दिनों बाद सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में दावा किया था कि देशमुख पुलिस अधिकारियों से मुंबई में रेस्तरां और बार मालिकों से पैसे लेने के लिए कहते थे।
राज्य सरकार ने सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल का एक सदस्यीय आयोग गठित किया था। आयोग ने सिंह को पेश होने के लिए कई बार समन जारी किया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। उसके बाद आयोग ने सिंह के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किया था। सिंह पर वसूली के कई मामले दर्ज हैं। वह इस साल अप्रैल में एक पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर अजा/अजजा (अत्याचार निवारण) कानून के तहत एक मामले का भी सामना कर रहे हैं।
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