टाटा घराने की एअर इंडिया को टाटा नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे। (Photo- ZEE Media)
आखिरकर जैसी संभावना जताई जा रही थी, ठीक वैसा ही हुआ। और एअर इंडिया फिर से पूर्व मालिक के पास पहुंच गई। एअर इंडिया (Air India) अब देश के प्रतिष्ठित समूह टाटा समूह की हो गई। टाटा संस ने कर्ज में डूबी सरकारी एअरलाइन एअर इंडिया (Air India) के अधिग्रहण की बोली जीत ली है। टाटा संस ने जिस विमानन कंपनी की स्थापना 90 साल पहले की थी, उसके लिए 18,000 करोड़ रुपए की बोली लगाकर 100 फीसद हिस्सेदारी हासिल कर ली। सरकार ने टाटा संस की बोली को मंजूरी दे दी है।
सरकारी कंपनियों के निजीकरण की जिम्मेदारी संभालने वाले केंद्र सरकार के निवेश व लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (Department of Investment and Public Asset Management) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की एक विशेष इकाई (एसपीवी) सफल बोलीदाता के रूप में उभरी है।
एअर इंडिया के अधिग्रहण की दौड़ में टाटा संस (Tata Sons) ने स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रवर्तक अजय सिंह की अगुआई वाले समूह को पीछे छोड़ा। दीपम (DIPAM) के सचिव ने कहा कि टाटा की 18,000 करोड़ रुपए की बोली में 15,300 करोड़ रुपए का कर्ज लेना और बाकी का नकद भुगतान करना शामिल है। उन्होंने बताया कि दोनों बोलीदाताओं ने आरक्षित मूल्य से ऊपर बोली लगाई थी और इस सौदे को दिसंबर तक पूरा करने की योजना है।
पांडेय ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित मंत्रियों के एक समूह ने चार अक्तूबर को एअर इंडिया के लिए विजेता बोली को मंजूरी दी। इसके साथ ही टाटा समूह में एअर इंडिया की वापसी हुई है।
रतन टाटा ने शुक्रवार को एअर इंडिया के अधिग्रहण के लिए टाटा संस की 18,000 करोड़ रुपए की बोली स्वीकार करने के सरकार के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘एअर इंडिया का फिर से स्वागत है।’ टाटा ने एक बयान में कहा, ‘टाटा समूह का एअर इंडिया के लिए बोली जीतना बड़ी खबर है।’ उन्होंने यह स्वीकार किया कि कर्ज में डूबी एअर इंडिया को पटरी पर लाने के लिए काफी प्रयास की जरूरत होगी, लेकिन यह जरूर है कि टाटा समूह के विमानन उद्योग में मौजूदगी को यह मजबूत बाजार अवसर उपलब्ध कराएगी।’
टाटा ने कहा, ‘एक समय जेआरडी टाटा के नेतृत्व में एअर इंडिया ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एअरलाइन में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी।’ उन्होंने कहा कि टाटा को उस छवि और प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने का अवसर मिलेगा जो उसने पूर्व में हासिल की थी।
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जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एअरलाइन की स्थापना की। तब इसे टाटा एअरलाइंस कहा जाता था। 1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एअर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और 1948 में एअर इंडिया इंटरनेशनल (Air India International) को यूरोप के लिए उड़ानों के साथ शुरू किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी (public Private Partnership) में से एक थी, जिसमें सरकार की 49 फीसद, टाटा की 25 फीसद और जनता की शेष हिस्सेदारी थी। 1953 में एअर इंडिया का राष्ट्रीयकरण (Nationalization) किया गया था।
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