सूखी तपती धरती को पानी से लबालब करने की जिद

खेतों पर मेड़ बना दिए और मेड़ों पर पेड़ लगा दिए। जब बारिश का मौसम आया तो पानी खेतों में ही रुक गया। कुछ ही दिनों में जो पानी बेकार बहकर सूख जाता था, वह अब तालाब और छोटी नदी का रूप ले लिया।