भारत दुनिया के उन दो देशों में से एक है, जिनकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए सराहना की है। (फोटो- फाइनेंशियल एक्सप्रेस)
बीसवीं सदी और इक्कीसवीं सदी में एक खास अंतर यह आया है कि हम मैनुअल से डिजिटल में बदल गए हैं। इसका सबसे अधिक फायदा स्टार्टअप कंपनियों को हुआ। देश में स्टार्टअप ईकाइयों में तेजी से उछाल आया है। खुद नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने हाल ही में इसको माना था। उन्होंने कहा था कि डिजिटल प्रौद्योगिकी ने भारत में स्टार्टअप के लिए उर्वराशक्ति प्रदान की है और आईपीओ से (प्राथमिक शेयर बाजार की पूंजी से) देश में स्टार्टअप क्रांति को पंख लग जाएंगे। इसका सीधा मतलब यह होता है कि रोजगार के नए अवसर में तेजी से बढ़ोतरी होगी।
वे नवोन्मेष आधारित उद्यमिता पर एक ऑनलाइन आयोजन को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन इनोवेशन वेंचरिंग एंड आंत्रेप्रेन्यूरशिप इन इंडिया नेटवर्क (आईवेइन) नाम के संगठन ने किया था। उन्होंने कहा कि 17 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तीव्र डिजिटलीकरण की दृष्टि से भारत दूसरे स्थान पर चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘आईपीओ (प्रथम सार्वजनिक निर्गमों) से हमारी स्टार्टअप क्रांति को पंख लगेगा। भारतीय स्टार्टअप इकाइयां भारत के बाजारों से भारत की जनता से पूंजी जुटाएंगी।’
उन्होंने कहा, “यह स्थिति वास्तविक आत्मनिर्भर भारत की स्थिति होगी। डिजिटलीकरण ने भारत में स्टार्टअप परिस्थितिकी तंत्र को स्फूर्ति प्रदान की है।” नीति आयोग के सीईओ का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि जोमैटो का शेयर शुक्रवार को ही भारतीय शेयर बाजर में जोरदार कामयाबी के साथ सूचीबद्ध हुआ है। रेस्त्रां भोजन-पार्सल की ऐप की मदद से बुकिंग और वितरण करने वाली कंपनी जोमैटो का शेयर 76 रुपये के आवंटन मूल्य की तुलना में 66 प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ।
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2008 में बनी इस कंपनी का बाजार पूंजीकरण करीब एक लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसके शेयर को पिछले सप्ताह 38 गुना अभिदान मिला था।
कांत ने कहा कि सफलता की दिशा में भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में 130 करोड़ लोगों तक पहुंचने के लिए योजना बना कर उसे तेजी से लागू करने और उसके विस्तार की क्षमता बड़ा मायने रखेगी।
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