न्यूयॉर्क के अस्पताल में ट्रांसप्लांट करती सर्जिकल टीम। (Photo Credit: Joe Carrotta/N.Y.U. Langone Health, via Associated Press)
अमेरिकी चिकित्साविज्ञानियों ने एक ऐसी समस्या से लोगों को निजात दिलाई है, जिससे दुनिया में हर साल लाखों लोग दम तोड़ देते हैं। न्यूयॉर्क में सर्जनों ने आनुवंशिक रूप से परिवर्तित सूअर में विकसित किडनी को एक मानव रोगी में सफलतापूर्वक जोड़ा और पाया कि अंग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। यह एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता है। अब अगर किसी व्यक्ति की किडनी खराब हुई तो उसकी जान बचाई जा सकेगी।
: खास बातें :
एक ब्रेन डेड मरीज की किडनी काम नहीं कर रही थी। डॉक्टरों ने उसके परिजनों की अनुमति से उसमें पशु की किडनी लगाई
डॉक्टरों के मुताबिक ट्रांसप्लांट से पहले सूअर के जीन को बदला गया था, ताकि इंसान का शरीर उसके अंग को तुरंत खारिज न करे
ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया न्यूयॉर्क सिटी में एनवाईयू लैंगन हेल्थ सेंटर में की गई। डॉक्टरों के मुताबिक ट्रांसप्लांट से पहले सूअर के जीन को बदला गया था, ताकि इंसान का शरीर उसके अंग को तुरंत खारिज न करे।
यह पहली बार है कि किसी इंसान के शरीर में जानवर की किडनी का सफल ट्रांसप्लांट किया गया है। इससे पहले जब भी ऐसे प्रत्यारोपण की कोशिश की गई, वह असफल रही, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इससे किडनी की खराबी से पीड़ितों की जिंदगी में एक उम्मीद जगी है।
दरअसल एक ब्रेन डेड मरीज की किडनी काम नहीं कर रही थी। इसके बाद उसे सूअर की किडनी लगाई गई। हालांकि यह काम करने से पहले डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों से इसकी अनुमति मांगी थी। उसके बाद ही यह प्रयोग शुरू किया गया, और यह सफल रहा।
इस सफलता के बाद भी अभी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है। डॉक्टर और शोधकर्ता चिकित्सा विज्ञानी यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि लंबी अवधि में इसके क्या परिणाम होंगे।
अमेरिका में ऐसे एक लाख से ज्यादा लोग हैं, जो प्रत्यारोपण (transplant) कराने के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं। इनमें से 90 हजार से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जिन्हें एक किडनी की जरूरत है। इनमें से रोजाना औसतन 12 लोग इंतजार में दम तोड़ दे रहे हैं। अगर सूअरों के दिल, फेफड़े और यकृत जैसे अंग इन्हें मिल जाएं तो इससे इन लोगों की जान बचाई जा सकती है।
अमेरिकी में बड़ी संख्या में लोग किडनी की खराबी से पीड़ित हैं। आधे मिलियन से अधिक लोग जीवित रहने के लिए भीषण डायलिसिस उपचार पर निर्भर हैं। मानव अंगों की कमी के कारण डायलिसिस पर निर्भर बहुत से लोग प्रत्यारोपण के लिए योग्य नहीं रह जाते हैं।
न्यूयार्क के जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन में ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. डोर्री सेगेव ने कहा, “हमें अंग की लंबी उम्र के बारे में और जानने की जरूरत है।” फिर भी, उन्होंने कहा, “यह एक बड़ी सफलता है। बड़ी बात है।”
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इंसानी किडनी का कोई विकल्प नहीं था। लंबे वक्त से इस दिशा में शोध चल रहे थे, कई बार इसमें नाकामी हासिल हुई, लेकिन इस बार का प्रयोग सफल रहा। अब वैज्ञानिक यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि शरीर के भीतर के दूसरे अंगों के लिए भी क्या ऐसा संभव है कि उसकी जगह पशुओं के अंग लगाया जा सके। अगर इसमें भी सफलता मिल जाती है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।
किडनी शरीर से विषाक्त यानी जहरीले पदार्थों को निकालने का काम करती है। किडनी इनको ब्लैडर में भेजती है, जहां यूरिन के जरिए ये शरीर से बाहर निकल जाते हैं। जब किडनी फेल हो जाती है तो ये जहरीले पदार्थों को सही तरीके से खून से फिल्टर नहीं कर पाती है और शरीर जहरीले पदार्थों से भर जाता है।
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