रण की ओर राष्ट्र, हावी हो रहीं साम्राज्यवादी शक्तियां

दुनिया में एक बार फिर मजहब और विश्वास को लेकर टकराव की स्थिति बन रही है। नए हालात में देशों के आपसी संबंध लोगों की बुनियादी जरूरतों और मानव विकास की मूल अवधारणा के विपरीत धर्म, मजहब और सांप्रदायिक विश्वास के आधार पर तय हो रहे हैं। लंबे समय से पूरी दुनिया किसी न किसी रूप में आतंकवाद से त्रस्त है। इसका स्थायी समाधान फिलहाल दूर की कौड़ी बनी हुई है, लेकिन साम्राज्यवाद शक्तियां मानवाधिकार जैसे मुद्दों को दरकिनार कर दुनिया को फिर युद्ध के रास्ते पर ले जा रही हैं। कोरोना जैसा वायरस और इससे पनपी महामारी ने दुनिया भर में लोगों की जिंदगी में अंधकार लाकर बिना युद्ध के तबाही मचाई है। यह भी साम्राज्यवादियों की साजिश ही प्रतीत हो रहा है।

अभी हाल ही में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच टकराव के बाद मानवाधिकार को लेकर फिर आवाजें उठ रही हैं। कई देश इजराइल का समर्थन कर रहे हैं तो कई अन्य फिलीस्तीन के पक्ष में खड़े हैं। फिलिस्तीन के लिए लड़ाई लड़ रहा संगठन हमास और इजराइल के बीच 11 दिन तक चले संघर्ष से दोनों पक्षों में जहां भारी जानमाल का नुकसान हुआ है, वहीं इसका प्रभाव दुनिया के दूसरे देशों और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा। संघर्ष भले ही अभी रुक गया है, लेकिन यह केवल एक ब्रेक है। जिस तरह का टकराव और दुनिया भर के देशों में गुटबाजी पनप रही है, उससे लगता है कि संघर्ष अभी और तेज होगा। दरअसल विवाद के केंद्र में जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि यहूदी और इस्लाम के वर्चस्व को लेकर टकराव है।

इस बीच संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक प्रस्ताव को पास कर तय किया है कि इजराइल और हमास के बीच हुए हिंसक संघर्ष की जांच युद्ध अपराध की तरह की जाएगी। इस प्रस्ताव के पक्ष में जिन देशों ने वोट दिए हैं, उनमें चीन और रूस भी शामिल है, जबकि भारत वोटिंग से अलग रहा। संयुक्त राष्ट्र निकाय ने एक बयान में कहा, “मानवाधिकार परिषद ने पूर्वी यरुशलम समेत कब्जा किए गए फिलिस्तीनी क्षेत्र और इजराइल में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के प्रति सम्मान सुनिश्चित करने पर प्रस्ताव स्वीकार किया है।

परिषद का विशेष सत्र पूर्वी यरुशलम समेत फिलिस्तीनी क्षेत्र में “गंभीर मानवाधिकार स्थिति” पर चर्चा के लिए बुलाया गया था। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्र मणि पांडे ने विशेष सत्र में कहा कि भारत गाजा में इजराइल और सशस्त्र समूह के बीच संघर्ष विराम में सहयोग देने वाले क्षेत्रीय देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कूटनीतिक प्रयासों का स्वागत करता है।

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उन्होंने कहा, “भारत सभी पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने और उन कदमों से गुरेज करने की अपील करता है जो तनाव बढ़ाते हों और एसे प्रयासों से परहेज करने को कहता है जो पूर्वी यरूशलम और उसके आस-पड़ोस के इलाकों में मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के लिए हों।”

पांडे ने एक बयान में यरूशलम में जारी हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की खासकर हरम अल शरीफ और अन्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों में। इजराइल और हमास दोनों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई जो 11 दिनों की भीषण लड़ाई के बाद पिछले शुक्रवार से प्रभावी हुआ। पांडे ने कहा कि भारत इस बात से पूरी तरह सहमत है कि क्षेत्र में उत्पन्न स्थितियों और वहां के लोगों की समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए वार्ता ही एकमात्र विकल्प है।

cmarg author

Sanjay Dubey is Graduated from the University of Allahabad and Post Graduated from SHUATS in Mass Communication. He has served long in Print as well as Digital Media. He is a Researcher, Academician, and very passionate about Content and Features Writing on National, International, and Social Issues. Currently, he is working as a Digital Journalist in Jansatta.com (The Indian Express Group) at Noida in India. Sanjay is the Director of the Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) and also a Convenor for the Apni Lekhan Mandali.

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