टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में प्रदर्शन करते हुए नीरज चोपड़ा। (फोटो एपी/इंडियन एक्सप्रेस)
टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेल जगत को शानदार उपलब्धि से नवाजा है। उनकी इस कामयाबी के लिए पूरा देश उनका सम्मान कर रहा है। हमें उन पर गर्व है। इसके साथ सबसे खास बात जो गौर की जानी चाहिए, वह है बीसीसीआई यानी बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया का वह कदम, जो अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह ने बढ़ाया है।
बीसीसीआई ने ओलंपिक में पदक लाने वाले सभी खिलाड़ियों और उनकी टीम को नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। इससे बीसीसीआई के प्रति लोगों के मन का वह दुर्भाव भी दूर होगा, जिससे लोग यह मानते हैं कि इस देश क्रिकेट का दबदबा है। इसके अलावा बाकी खेलों के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
वैसे ऐसा रहा भी है। भारत में जैसी क्रिकेट की दीवानगी रही है, वैसी अन्य खेलों के प्रति नहीं रही है, लेकिन अब समय बदला है। बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का यह कदम निश्चित रूप से भारतीय खेलों को वह स्वर्णिम अवसर लाने के लिए प्रेरणा बनेगा, जिसमें ओलंपिक खेलों में सिर्फ एक स्वर्ण नहीं, बल्कि कई दर्जन स्वर्ण पदक मिलेंगे। पदक तालिका में भारत का स्थान शीर्ष पर पहुंचेगा। हम इसके लिए सौरव गांगुली और जय शाह जी को बहुत-बहुत बधाई देते हैं और उनके प्रति अपना आभार जताते हैं।
यह एक शानदार तरीका है अपने ऊपर बने उस छवि को हटाने का, जिसकी वजह से अन्य खेलों के प्रति ध्यान नहीं दिया जा रहा था। अब मोहल्ला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक हर तरह के खेलों का सम्मान होगा और उनको खेलने वाले खिलाड़ियों को आगे बढ़ने और अपनी प्रतिभा को सामने लाने का भरपूर अवसर उपलब्ध होगा।
इसका यह कतई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि क्रिकेट का क्रेज खत्म हो जाएगा, या क्रिकेट खेलने वाले लोग हतोत्साहित होंगे। ऐसा कुछ नहीं होगा। क्रिकेट भी खेलेंगे और दूसरे खेल भी; बस अंतर सिर्फ इतना है कि सबको समान अवसर उपलब्ध होगा। किसी के प्रति भेदभाव नहीं होगा।
उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले कुछ वर्षों में ओलंपिक के अलावा दूसरे स्पर्धाओं में इसका परिणाम सामने आएगा। खेलों की वजह से देश का नाम और बेहतर तरीके से दुनिया में बढ़ेगा। दुनिया में भारत का गौरव गान होगा।
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