विषाणु: पुरानी पर फतह नहीं, नई पर जान कुर्बान

दुनिया भर में व्यापक कहर मचा रहा कोरोना विषाणु पर काबू पाने की तमाम तरकीबें नाकाम साबित हो रही है। इसकी पहली लहर ने लाखों लोगों की जिंदगी खत्म कर दी तो दूसरी लहर उससे भी घातक साबित हुई। अब जैसा कि बताया जा रहा है कि इसकी तीसरी लहर भी आएगी। अभी तक हमारे पास कोरोना विषाणु से मुकाबला करने के लिए कोई सिद्ध और सुरक्षित उपाय नहीं है। ले-देकर केवल टीकाकरण और दो गज की दूरी ही है, जो इसकी चेन तोड़ने में कारगर मानी जा रही है। समस्या यह है कि दुनिया की जितनी आबादी है, हमारे पास अभी उतने टीके नहीं है, लेकिन बीमारी और संक्रमण हमारा इंतजार नहीं करते हैं।

इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी आगाह किया है कि अगर मौजूदा चलन जारी रहता है तो कोविड-19 के सबसे अधिक संक्रामक प्रकार डेल्टा के अन्य स्वरूपों के मुकाबले हावी होने की आशंका है। डब्ल्यूएचओ की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब 85 देशों में इस स्वरूप के मिलने की पुष्टि हो चुकी है और दुनिया के अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आते जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ की ओर से 22 जून को जारी कोविड-19 साप्ताहिक महामारी अपडेट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर, अल्फा स्वरूप 170 देशों, क्षेत्रों या इलाकों में मिला है, बीटा स्वरूप 119 देशों में, गामा स्वरूप 71 देशों में और डेल्टा स्वरूप का 85 देशों में पता चला है।

अपडेट में कहा गया, “डेल्टा, दुनिया भर के 85 देशों में मिला है, डब्ल्यूएचओ के अंतर्गत सभी क्षेत्रों के अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आने का चलन जारी है, जिनमें से 11 क्षेत्रों में ये पिछले दो हफ्तों में सामने आए।’’ डब्ल्यूएचओ ने कहा कि चार मौजूदा “चिंताजनक स्वरूपों’ – अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा पर करीब से नजर रखी जा रही है जो बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं और डब्ल्यूएचओ के अंतर्गत आने वाले सभी क्षेत्रों में उनका पता चला है। इसने कहा, “डेल्टा स्वरूप अल्फा स्वरूप से कहीं ज्यादा संक्रामक है और अगर मौजूदा चलन जारी रहता है तो इसके अधिक हावी होने की आशंका है।’’

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बहरहाल दुनिया के लिए जानलेवा बने इस कोरोना विषाणु पर फतह हासिल करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। तब तक हमें अपनी जिंदगी की कुर्बानी देते रहना पड़ेगा। अब तो समय आ गया है कि हम अपने को बदलें, नहीं तो विषाणु हमें लील जाएगा।

cmarg author

Sanjay Dubey is Graduated from the University of Allahabad and Post Graduated from SHUATS in Mass Communication. He has served long in Print as well as Digital Media. He is a Researcher, Academician, and very passionate about Content and Features Writing on National, International, and Social Issues. Currently, he is working as a Digital Journalist in Jansatta.com (The Indian Express Group) at Noida in India. Sanjay is the Director of the Center for Media Analysis and Research Group (CMARG) and also a Convenor for the Apni Lekhan Mandali.

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