वीपीएन के बंद होने से कई तरह की नई समस्याएं भी आएंगी। (Photo Source: arvigbusiness.com)
कोविड के आने के बाद दुनिया में एक भारी बदलाव देखने को मिला। वह था Work From Home System, जिसे कई कंपनियों ने मजबूरी में किया था, लेकिन वही अब उनके लिए एक बेहतर और लाभदायक व्यवस्था बन गई है। इसके कई फायदे दिखे। सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि कंपनियों के खर्च कई गुना बच गए और काम में भी कोई कमी नहीं आई। कर्मचारियों को भी इसमें सहूलियत दिखी और घर में परिवार के बीच बैठकर ड्यूटी करने का फायदा मिला।
इस बीच गृह मामलों पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने भारत में VPN सर्विस पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव किया है। इसके पीछे उसने साइबर सुरक्षा को खतरे को वजह बताया है। VPN सर्विसेज की वजह से देश में ज्यादातर कंपनियां अपने डिजिटल एसेट्स को सुरक्षित रख पाती हैं। कोरोना महामारी की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान VPNs बिना किसी परेशानी वर्क फ्रॉम होम कर पाते हैं।
प्रस्ताव के मुताबिक, VPNs की मदद से अपराधी गुमनाम तौर पर ऑनलाइन मौजूद रहते हैं। कहा गया कि भारत को इस सेवा को स्थायी तौर पर रोकने के लिए एक व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है।
VPNs या वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क ऑनलाइन रहते हुए डेटा इनक्रिप्ट कर लेते हैं और यूजर के आईपी एड्रेस को भी छिपा लेते हैं। इसकी मदद से यूजर ब्लॉक हो चुकी वेबसाइट्स में भी लॉग इन कर सकता है। इस सर्विस में जब व्यक्ति पब्लिक वाईफाई नेटवर्क पर है, तब उसकी ऑनलाइन पहचान भी छिपी रहती है।
संसदीय समिति के मुताबिक, डार्क वेब और VPN सर्विसेज की तकनीक साइबर सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है और इसकी मदद से अपराधी संदिग्ध पहचान बना सकते हैं। उसने कहा कि बहुत सी वेबसाइट्स VPN सर्विसेज का विज्ञापन देती हैं, जिसे आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
पैनल ने ऐसे VPNs की पहचान करके उन्हें ब्लॉक करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय को मिलकर काम करने को कहा है। पैनल ने यह काम करने के लिए ISPs (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स) की मदद लेने की भी सिफारिश की है। समिति ने केंद्र सरकार से अपराधियों को मदद करने वाली VPN सेवाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की भी अपील की है।
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समिति ने 10 अगस्त को राज्यसभा को यह रिपोर्ट सब्मिट की थी। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को ट्रैकिंग और निगरानी को मजबूत बनाने पर काम करना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए उसे VPN और डार्क वेब पर नजर रखने के लिए स्टेट ऑफ आर्ट टेक्नोलॉजी को विकसित करना चाहिए।
यह प्रस्ताव भारत में कंपनियों के लिए चिंता की बात है, क्योंकि इससे उनकी डेटा की सुरक्षा पर असर पड़ेगा। अगर सरकार सदन के पैनल के सुझावों का पालन करती है, तो देश में VPN सेवाएं बंद हो जाएंगी। यह आईटी कंपनियों के लिए बड़ी चिंता की बात होगी, जो वर्क फ्रॉम होम के जरिए अपना कामकाज कर रही हैं। इसके साथ बैंक, जो ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, उन्हें भी दिक्कत होगी।
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