✍️वत्सल श्रीवास्तव
इलाज की तमाम पद्धतियों में आयुष (AYUSH) का बड़ा महत्व है। जब भी चिकित्सा विज्ञान का इतिहास खंगाला जाएगा, आयुष की चर्चा जरूर होगी। आयुष (AYUSH) का मतलब Ayurvedic, Yoga and Naturopathy, Unani, Siddha and Homeopathy होता है। इसको हिंदी मे आयुर्वेदिक, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी कहते है। AYUSH विभाग का प्रमुख उद्देश्य देश भर मे भारतीय चिकित्सा पद्धित का विकास और होम्योपैथी कॉलेजों के शैक्षणिक मानक में सुधार और उन्नयन करना है। AYUSH उन बीमारियों पर अनुसंधान के लिए शोध संस्थानों का समर्थन करता है, जिनके पास मजबूती प्रदान करने के लिए उनके पास प्रभावी उपचार हैं।
भारत में प्राचीन काल से ही जड़ी बूटियों और प्राकृतिक औषधियों से लोगों का इलाज होते आया है। बड़े से बड़ा शासक केवल अपने बीमारी का इलाज करवाने भारत आता था। हिमालय पर उगने वाली केवल एक औषधि व्यक्ति को बड़े से बड़े रोग से मुक्त कर सकती हैं। यहां तक बख्तियार खिलजी तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य द्वारा दी गई औषधि से स्वस्थ होने के बाद तक्षशिला विश्वविद्यालय में आग लगवा दी थी, ताकि यहां का ज्ञान व्यापक विश्व में ना फैल सके। इसीलिए भारत की जड़ी बूटियां और औषधियां किसी भी रोग को स्वस्थ कर सकती है।
इसी के मद्देनजर पतंजलि ने कोरोनिल नामक दवा लांच की और उसने बताया कि उसने ढेर सारी जड़ी बूटियां और औषधियां मिली है। यह जड़ी बूटियां और औषधियां कभी भी व्यक्ति के लिए हानिकारक नहीं हो सकती हैं।
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अब लोगों में जागरूकता तेजी से आ रही है। लोग इलाज की भारतीय पद्धति के महत्व को समझने लगे हैं। कई असाध्य बीमारियां, जिनका एलोपैथी में कारगर इलाज नहीं है, उन्हें आयुष के माध्यम से ठीक कर दिया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि आयुष में उपचार के बाद बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। वह दोबारा नहीं पनपने पाती है। इसीलिए इसका इलाज थोड़ा लंबा और समय वाला है। इस माध्यम से उपचार कराने से बीमारियों से छुटकारा तो मिलता ही है, पीड़ित को कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।
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