वर्षों से कॉलोनी में रह रहे कर्मचारियों के सामने नई समस्या आ गई, फिलहाल कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। (Photo Source: NDTV)
आखिरकार वही हुआ जिसकी आशंका थी। एयर इंडिया को निजी हाथों में सौंपने का फैसला होने के साथ ही सरकार ने कर्मचारियों को नोटिस भेजकर आगाह कर दिया कि उनकी कालोनी अब उनकी नहीं रह गई है। लिहाजा उसे अगले छह महीने में कर्मचारियों को छोड़ना पड़ेगा। एयर इंडिया की अपनी कालोनी मुंबई के कलिना और दिल्ली के उबेर पोस वसंत विहार में स्थित है। यह नोटिस दोनों शहरों के लिए है।
सरकार ने बेहद घाटे में चल रहे एयर इंडिया को टाटा समूह को बेच दिया है। सरकार का कहना है कि जिस दिन टाटा समूह इसको अपने हाथ में ले लेगा, उस दिन से छह महीने के भीतर कर्मचारी कॉलोनी को छोड़कर कहीं और शिफ्ट हो जाएं। कॉलोनी सरकार की है, लेकिन एयर इंडिया अब सरकार की नहीं रही।
इससे वर्षों से वहां रह रहे कर्मचारियों के सामने नई समस्या आ गई। फिलहाल कर्मचारी यूनियन की संयुक्त कार्रवाई समिति ने इसके विरोध में सरकार को हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी है। हालांकि कर्मचारियों के विरोध का सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। निजीकरण के बाद सरकार को अपनी कॉलोनी खाली कराने में कोई खास दिक्कत नहीं आएगी। सरकार ने भी उन्हें तुरंत खाली करने के बजाए छह महीने का समय भी दिया है।
कर्मचारी यूनियन पदाधिकारियों ने मुंबई के क्षेत्रीय श्रम आयुक्त को नोटिस जारी कर कहा कि वे इस मुद्दे पर दो नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। नियमों के अनुसार, यूनियन को हड़ताल पर जाने से पहले दो सप्ताह का नोटिस देना होता है। नोटिस एयर इंडिया के संयुक्त कार्रवाई समिति (Joint Action Committee) ने दिया है।
जिस भूमि पर कॉलोनियां स्थित हैं, वह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा एआई को स्थायी रूप से पट्टे पर दी जाती है। एएआई मालिक है और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) केवल एक किरायेदार है, जिसके प्रमोटर अडानी समूह है। एआई के लिए जल्दबाजी में कॉलोनियों को खाली करने और अडानी समूह को जमीन सौंपने का कोई कारण नहीं है।
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कर्मचारियों को पांच अक्टूबर को इस बारे में एक नोटिस मिला था। इसमें उनसे कहा गया है कि वे 20 अक्टूबर 2021 तक लिखकर दें कि एयरलाइंस का निजीकरण हो जाने के छह महीने के भीतर आवास खाली कर देंगे। फिलहाल कर्मचारी यूनियन के दोनों शहरों के पदाधिकारी इस मुद्दे पर रोजाना बैठक कर संयुक्त रूप से हड़ताल पर जाने का फैसला करेंगे।
कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि एयरपोर्ट की भूमि पर कई जगह झुग्गी-झोपड़ियां बनी हैं। उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार भूमि रिकॉर्ड्स का संरक्षक है और स्थानान्तरण के लिए उसकी सहमति जरूरी है।
एयर इंडिया के संयुक्त कार्रवाई समिति (Joint Action Committee) ने मांग की है कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्त होने तक अपने-अपने घरों में रहने की अनुमति दी जाए। इसमें कहा गया है कि ऐसा नहीं होने पर हमारे पास 2 नवंबर 2021 से अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
एयर इंडिया विनिवेश पर जीओएम ने 9 अगस्त, 2021 को निर्णय लिया था कि एयर इंडिया कर्मचारी कंपनी की आवासीय संपत्तियों में विनिवेश के बाद “छह महीने की अवधि या संपत्ति का मुद्रीकरण होने तक, जो भी पहले हो, रह सकते हैं।
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