प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों में सीखने की उत्सुकता बढ़ानी चाहिए। (Photo Source- DNA)
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आलोचना की है। उनका कहना है कि इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे बच्चों में सोचने-विचारने की प्रेरणा मिले। जब तक ऐसी शिक्षा नीति नहीं बनाई जाएगी, तब तक देश का बौद्धिक विकास नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि चालू शिक्षा प्रणाली हमें केवल डिग्री देती है, ज्ञान नहीं मिलता है। हर छात्र-छात्रा केवल पास होने और डिग्री लेने की कोशिश में लगा है। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है और नौकरियां खत्म हो रही हैं।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र समूह के ‘थिंकएडु कॉन्क्लेव 2021’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इनोवेशन की दुनिया में हम चीन और अमेरिका से पिछड़ रहे हैं, जबकि हम इस क्षेत्र में पहले दुनिया में बहुत आगे थे। कहा कि जब हमारे पास सोचने-विचारने की क्षमता नहीं होगी तब हम सिर्फ दूसरों की नकल करेंगे और बाद में गुलाम बनेंगे। हम वही बनेंगे जो हमें मशीन बनाएगी।
े और यूरोपियन संस्कृति की नकल कर उनकी तरह बनने में लगे हैं। इससे हमारी नई पीढ़ी कुछ दिन बाद अपने को अमेरिकन और यूरोपियन मानने लगेगी। छोटे से छोटा देश अपनी संस्कृति और समाज को बचाए रखने में जुटा हैं, जबकि हम उनकी संस्कृति और समाज को अपनाने में समय गंवा रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि हम अंग्रेजी न पढ़ें, लेकिन हमें अपनी भाषा और संस्कृति को नहीं छोड़ना चाहिए। हम संस्कृत विषय भी पढ़ें और शोध को बढ़ावा दें। नई चीज खोजने और जानने के लिए मन में उत्कंठा पैदा करें। जिससे नई पीढ़ी के विद्यार्थियों में अच्छी चीजें सीखने की क्षमता बढ़े।
वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी अच्छी तनख्वाह दी जानी चाहिए, जिससे वे आर्थिक चिंता से मुक्त होकर खुद ज्ञानवान बनें और विद्यार्थियों को भी बनाएं। कहा कि विश्वविद्यालयों में अच्छी तनख्वाह मिलती होगी, लेकिन प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों को उतनी नहीं मिलती, जितनी कि जरूरत है। इससे उनमें आर्थिक असंतोष रहता है और इससे वे मन लगाकर पढ़ा नहीं पाते हैं। ऐसे में हमारी नींव ही कमजोर हो जा रही है।
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