गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी और उनकी बेटी राधिका। (फोटो- सोशल मीडिया)
उत्तराखंड और कर्नाटक के बाद अब भाजपा शासित गुजरात में सीएम बदल दिए गए। इस पर सियासी चर्चाएं तो होती ही हैं और होनी चाहिए भी, लेकिन इस बार इससे इतर विजय रूपाणी की बेटी राधिका ने अपने पिता को अचानक मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए पूछा है कि “क्या मृदभाषी, मेहनती, ईमानदार और सरल” होने का मतलब अपमान पाना है।
लंदन में रह रही राधिका ने 12 सितंबर को फेसबुक पर लिखे पोस्ट ‘Vijay Rupani from the Eyes of a Daughter’ के जरिए इस सवाल को रखा है। उनका कहना है कि उनके पिता बेहद मिलनसार, सरल और मेहनती हैं, जो कठिन समय में देर रात ढाई बजे तक लोगों के लिए काम किया करते थे। पिता की “मृदुभाषी” छवि को खराब बताने वाले लोगों पर गुस्सा दिखाते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसा सोचते हैं, वे गलत हैं। कहा हमारे पिता एक संवेदनशील नेता हैं।
बेटी के मुताबिक, सितंबर 2002 में जब गांधीनगर (गुजरात) के अक्षरधाम मंदिर में आतंकी हमला हुआ था, तब उनके पिता ही पहले व्यक्ति थे, जो वहां गए थे। उस समय तक मोदी जी भी वहां नहीं पहुंच पाए थे। चक्रवाती तूफान तौकते और वैश्विक महामारी कोरोना वायरस सरीखे बड़े खतरों के दौरान पिता देर रात ढाई बजे तक जागते रहते थे और सीएम डैशबोर्ड और फोन कॉल्स के जरिए राहत और बंदोबस्त में जुटे रहते थे।
उन्होंने पूछा कि रूपाणी की ‘मृदुभाषी छवि पर सवाल उठाने वाले बताएं कि क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता और करुणा नहीं होनी चाहिए? क्या यह एक जरूरी गुण नहीं है, जो हमें एक नेता में चाहिए? पिता ने कड़े कदम उठाए हैं और “जमीन हथियाने वाला कानून”, “लव जिहाद”, गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध कानून (गुजसीटीओसी), सीएम डैशबोर्ड जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं। क्या कठोर चेहरे का भाव ओढ़े रहना…एक नेता की निशानी है?”
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गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने शनिवार (11 सितंबर) को पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस्तीफा लेकर उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया, लेकिन महज 114 दिन बाद ही उनको भी बदल दिया गया। उनकी जगह पुष्कर धामी मुख्यमंत्री बना दिए गए। इसी तरह कर्नाटक में भी हाल ही में बीएस येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
फिलहाल रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को सूबे की कमान सौंपी गई है। उन्होंने राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और वह सूबे में पाटीदार समुदाय से पांचवें सीएम हैं। गुजरात में पाटीदार एक प्रमुख जाति है।
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